राहुल का सपना सबसे पहले पूरा करेंगे CM गहलोत, राजस्थान में लागू करेंगे यूनिवर्सल बेसिक इनकम !
मोदी सरकार के अंतरिम बजट को चुनावी बजट कहने वाली कांग्रेस सरकार राजस्थान में एक बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है.
जयपुर:
लोकसभा चुनाव से पहले हर पार्टी जीत के लिए जीतोड़ कोशिश में जुटी है. राजनीतिक पार्टियां वोटबैंक को अपने पाले में लाने के लिए हर दांव चल रही हैं. मोदी सरकार के अंतरिम बजट को चुनावी बजट कहने वाली कांग्रेस सरकार राजस्थान में एक बड़ा दांव खेलने की तैयारी में है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संकेत दिए हैं कि राजस्थान यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू करने वाला पहला राज्य हो सकता है. वहीं बीजेपी इस कदम को लोकसभा चुनावों में वोटों की फसल काटने का कुत्सित प्रयास बताया है.
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हर हाथ को मजबूत करने के लिए विकसित देशों की यूनिवर्सल बेसिक इनकम (न्यूनतम आधारभूत आय) यूबीआई पर राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है. 58 विकसित देशों में हर महिला-पुरुष को सरकार द्वारा तय राशि दी जाती है. यदि उनकी आय देश की बेसिक इनकम से कम हो. इसी आधार पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी यूबीआई का फार्मूला रख रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे मैजिकल फार्मूला मान रहे हैं. यदि वे 7.5 करोड़ जनता के लिए प्रदेश में यूबीआई लागू करते हैं तो राजस्थान पहला राज्य होगा, जो विकसित देशों की तर्ज पर हर व्यक्ति के लिए न्यूनतम आय तय करेगा. वह राशि सरकार की तरफ से यूबीआई के दायरे में आने वाले हर महिला-पुरुष के खाते में डायरेक्ट ट्रांसफर की जाएगी.
दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. पूर्व कैबिनेट मंत्री और उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ का कहना है जो सरकार सत्त्ता में आने के साथ ही खजाना खाली है का राग अलाप रही है, उस सरकार द्वारा यूबीआई लागू करना प्रदेश की जनता के साथ छलावा है. यह लोकसभा चुनावों में वोटबैंक की फसल काटने का कुत्सित प्रयास है जो सफल नहीं होगा. यूबीआई लागू होने पर महिला-पुरुष को समान मान हर एक के खाते में सीधे बेसिक इनकम भेज दी जाएगी. राहुल गांधी ने केंद्र में सरकार बनने पर यूबीआई लागू करने का कहकर नई बहस छेड़ दी है। हालांकि इस योजना का सुझाव 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण के आधार पर पीएम नरेंद्र मोदी के पास भी लंबित है. वित्त विभाग सहमत भी है. लेकिन राहुल ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है, जिससे अशोक गहलोत सबसे पहले राजस्थान में शुरू करना चाहते हैं.
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यूबीआई के पीछे का तर्क
देश में एक लाख करोड़ रुपए केवल तेल- फूड फर्टिलाइजर टैक्स से आते हैं. सरकारें डेढ़ लाख करोड़ रुपए सब्सिडी जनता को देती है. यदि सब्सिडी बंद कर दे तो ढाई लाख करोड़ रुपए तक का इंतजाम यूबीआई के आसानी से कर सकती है. हर महिला-पुरुष को समानता से जीने के हक के लिए यूबीआई को जरूर लागू करना चाहिए.
क्या है यूबीआई
यूनिवर्सल बेसिक इनकम फिक्स राशि है जो सरकार अपने देश या राज्य के हर व्यक्ति की न्यूनतम जरूरतों के लिए आय जरूरी मानती है. हर नागरिक को न्यूनतम आय सरकार द्वार सुनिश्चित करना है.
एमपी के 8 गांवों में यूबीआई का चल चुका पायलट प्रोजेक्ट
यूबीआई का सबसे पहले सुझाव लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने
दिया था. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मध्य प्रदेश के इंदौर के 8 गांवों की 6 हजार की आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच यह प्रयोग हुआ. इसमें महिलाओं और पुरुषों को 500 रुपए और बच्चों को 150 रुपए दिए गए.
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ये 58 देश अलग-अलग नाम से देते हैं बेसिक इनकम गारंटी
नार्वे, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, जर्मनी, आइसलैंड, हांगकांग, स्वीडन, सिंगापुर, नीदरलेंड, डेनमार्क, कनाडा, अमरीका, फिनलैंड, न्यूजीलैंड, बेल्जियम, लिंचेस्टीन, जापान, आस्ट्रिया, लक्जमबर्ग, इजरायल, दक्षिणी कोरिया, फ्रांस, स्लोवेनिया, स्पैन, चैक गणराज्य, इटली, माल्टा, एस्टोनिया, ग्रीस, साइप्रस, पोलैंड, सउदी अरब, अंडोरा, लिथुआनिया, कतर, स्लोवाकिया, ब्रुनेई, यूनाईटेड अरब अमीरात, लातविया, पुर्तगाल, बहरीन, चिली, हंगरी, क्रोएशिया, अर्जेंटिना, ओमान, रूस, मोंटेरो, बुल्गारिया, रोमानिया, बेलारुस, बहमास, उरुग्वे, कुवैत, बेलारुस, मलेशिया, कजाकिस्तान, बारबाडोस में अलग अलग नाम से यूबीआई तय है.
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