दिल्ली: फर्जी SDM बन कर वसूली करने वाले बाप-बेटा सहित पुलिस ने 4 लोगों को किया गिरफ्तार
दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 थाने की पुलिस टीम ने हेडक्वार्टर एसडीएम बनकर रात के अंधेरे में अपनी टीम के साथ ट्रकों को रोक कर उनसे वसूली करने वाले बाप और उनके दो सगे बेटे के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया है.
नई दिल्ली:
दिल्ली के द्वारका सेक्टर 23 थाने की पुलिस टीम ने हेडक्वार्टर एसडीएम बनकर रात के अंधेरे में अपनी टीम के साथ ट्रकों को रोक कर उनसे वसूली करने वाले बाप और उनके दो सगे बेटे के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही वारदात में इस्तेमाल की जाने वाली 2 गाड़ियां भी पुलिस टीम ने जब्त की है. डीसीपी एंटो अलफोंस ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सत्यवान, दिलीप सिंह, देवेंद्र और पंकज शामिल है. इनमें से सत्यवान जो अपने आप को एसडीएम हेड क्वार्टर बताता था और इनके दो बेटे बाप के लिए वसूली करने में ट्रक रोकने का काम करते थे. जबकि चौथा आरोपी दिलीप सिंह अपने आप को एसडीएम साहब का ड्राइवर बताता था.
पुलिस के अनुसार 24 जनवरी की रात हरिशंकर नाम के एक शख्स ने शिकायत की कि वह सीमेंट की बोरियों से भरा एक ट्रक लेकर कुरुक्षेत्र से आ रहा था और द्वारका इलाके में उसे रोका गया. कहा गया कि उसके ट्रक में जो 200 सीमेंट के कट्टे हैं वह ज्यादा है डेढ़ सौ से ज्यादा होने पर उसका ट्रक सीज हो सकता है और फिर उसे डरा धमका कर बमरोली गांव के पास यह बताया गया कि एसडीएम साहब गाड़ी में है और तुम्हारी गाड़ी सीज हो जाएगी. फिर उसके ट्रक से सीमेंट के कट्टे को उतारने के लिए कहा और करीब 25 कट्ठे उतार के रख लिया.
जब ड्राइवर ट्रक लेकर आगे पहुंचा तो नाइट पेट्रोलिंग में पुलिस टीम को देख कर उसने अपने साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी. उसके बाद पुलिस टीम स्पॉट पर पहुंची और मामले की जब छानबीन शुरू की. पुलिस ने देखा कि एसडीएम का स्टीकर लगे एक स्विफ्ट गाड़ी में सीमेंट की बोरियां भरी जा रही है.
पुलिस को देखते ही गाड़ी लेकर दो लड़के भागने लगे, लेकिन पुलिस टीम ने सतर्कता दिखाते हुए तुरंत कंट्रोल रूम को मैसेज भी दिया और दूसरी पुलिस की गाड़ी अभी आ गई. स्विफ्ट डिजायर गाड़ी को सेक्टर 22 में बैंक विहार सोसायटी के पास पकड़ लिया गया. और उनमें से दो युवकों को हिरासत में लिया गया, जिसकी पहचान देवेंद्र और पंकज के रूप में हुई.
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एसीपी राजेंद्र सिंह की टीम ने जब छानबीन की तो पता चला कि सत्यवान जो पालम कॉलोनी का रहने वाला है, वह अपने आप को एसडीएम बताता था. जबकि उसके दो बेटे देवेंद्र और पंकज ट्रक को रोकने का काम करते थे और दिलीप सिंह एसडीएम का ड्राइवर बताता था. यह लोग लोकल होने की वजह से रात में वारदात को अंजाम देने के लिए निकलते थे और ट्रक-टेंपो को रोक कर उनसे वसूली का वारदात को अंजाम देते थे.
पूछताछ में पता चला कि 47 साल का सत्यवान पहले टैक्सी का बिजनेस शुरू किया था और उसने कुछ समय पहले कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर एसडीम ऑफिस में अपनी गाड़ी लगाई थी. बाद में मई 2018 में उसका कांटेक्ट खत्म हो गया, लेकिन उसने अपने गाड़ी पर लगे एसडीएम के स्टीकर को हटाया नहीं और फिर उसने इसे अपना हथियार बना लिया. क्योंकि उसे एसडीएम के पावर के बारे में पूरी जानकारी थी.
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