अदालत के आदेशों में धांधली करने के आरोप में IAS अधिकारी संतोष वर्मा इंदौर में गिरफ्तार
आरोपित वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर था. चार साल पहले हर्षिता ने उसके खिलाफ लसूड़िया थाना में केस दर्ज करवाया. यह मामला न्यायाधीश रावत की कोर्ट में चल रहा था.
highlights
- पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर तलब किया था
- कुछ अज्ञात लोगों की मदद से उसने अदालती आदेशों के साथ फर्जीवाड़ा किया
- उसने नकल आवेदन लगाया और प्रतिलिपी ले ली
मध्य प्रदेश:
विशेष न्यायाधीश की कोर्ट के फर्जी फैसले से आइएएस बने संतोष वर्मा को 12 घंटे चली कड़ी पूछताछ के बाद पुलिस ने शनिवार रात गिरफ्तार कर लिया. वर्मा ने जज विजेंद्र सिंह रावत के आदेश और वकील एनके जैन का नाम लेकर बचने का प्रयास किया, लेकिन देर रात हुई सख्ती से टूट गया. अफसरों ने वल्लभ भवन (भोपाल) से अनुमति ली और करीब 12 बजे गिरफ्तारी ले ली. आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा को इंदौर में मारपीट के एक मामले से बचने के लिए अदालती आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. इंदौर के एसपी आशुतोष बागड़ी कहते हैं, ''वह मारपीट के एक मामले में आरोपी था. कुछ अज्ञात लोगों की मदद से उसने अदालती आदेशों के साथ फर्जीवाड़ा किया.''
इस मामले में कोर्ट की ओर से ही 27 जून को एमजी रोड थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी. कोतवाली सीएसपी हरीश मोटवानी के मुताबिक, वर्मा फिलहाल नगरीय एवं विकास प्रशासन विभाग में अपर आयुक्त है. पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर तलब किया था. शुरुआत में उसने सवालों को टालने की कोशिश भी की और बोला, उसे तो वकील ने काल कर बताया था कि तुम्हारे विरुद्ध दर्ज प्रकरण का फैसला हो गया है. उसने नकल आवेदन लगाया और प्रतिलिपी ले ली. पुलिस पहले तो वर्मा के बयान टाइप करती रही, लेकिन शाम को जब प्रतिप्रश्न किए गए तो वह उलझ गया. देर रात उसकी संलिप्तता की पुष्टि होते ही एमजी रोड थाना टीआइ डीवीएस नागर ने गिरफ्तार कर लिया. वर्मा ने भोपाल में पदस्थ अफसरों को काल करने का प्रयास किया, लेकिन उसका फोन सीएसपी पहले ही जब्त कर चुके थे. वर्मा को पुलिस ने रात में उसके भाई-भाभी द्वारा लाया खाना खिलाया और एमजी रोड थाने की हवालात की सफाई भी कराई. वहां नई चादर भी बिछाई. तब पुलिसकर्मी कोतवाली थाने से हाथ पकड़ कर वर्मा को एमजी रोड थाने लाए.
आरोपित वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा का अफसर था. चार साल पहले हर्षिता ने उसके खिलाफ लसूड़िया थाना में केस दर्ज करवाया. यह मामला न्यायाधीश रावत की कोर्ट में चल रहा था. डीपीसी में वर्मा का नाम जुड़ गया और शासन ने आपराधिक प्रकरण की जानकारी मांगी. वर्मा ने सामान्य प्रशासन विभाग को फैसले की प्रति पेश कर कहा कि मामले में समझौता हो गया है. शासन ने कहा समझौता बरी की श्रेणी में नहीं आता है. उसी दिन वर्मा ने एक अन्य फैसला पेश कर कहा, कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है. वर्मा के करीबी जज ने फैसले को सही बताते हुए शेख से अपील न करने का प्रस्ताव तैयार करवा दिया. एक ही दिन में दो फैसले मिलने पर अफसरों को शक हुआ तो आइजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने जांच बैठा दी.
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