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ग्रेग चैपल विवादः 2005 मेरे लिए सबसे बेचैन करने वाला साल रहा- सौरव गांगुली

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी किताब में ग्रेग चैपल से संबधित कई खुलासे किए हैं।

Updated on: 25 Feb 2018, 01:30 PM

नई दिल्ली:

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी किताब में ग्रेग चैपल से संबधित कई खुलासे किए हैं। गांगुली ने अपनी किताब 'ऐ सेंचुरी इज नॉट एनफ' में बताया है कि कैसे उन्होंने तमाम चेतावनी के बाद खुद चैपल को कोच बनाए जाने की राय दी थी और उसके बाद उनके करियर में हलचल मच गई।

सौरव गांगुली ने लिखा है, 'साल-2004 में हम लगातार यह चर्चा कर रहे थे कि जॉन राइट के बाद किसे कोच बनाया जाए। अचानाक उनका (ग्रेग चैपल) नाम मेरे दिमाग में आया। मैंने इस बात की चर्चा मिस्टर डालमिया से की। मिस्टर डालमिया ने एक सुबह फोन किया और एक जरूरी चर्चा के लिए घर आने को कहा।'

सौरव गांगुली ने अपनी किताब में यह भी खुलासा किया कि चैपल को कोच बनाने के फैसले पर पहुंचने से पहले कई लोगों ने उन्हें और जगमोहन डालमिया को आगाह किया था।

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गांगुली ने लिखा है, 'सुनील गावस्कर ने मुझे आगाह किया था। गावस्कर ने कहा था- सौरव एक बार सोच लो। उनके रहते हुए तुम्हें टीम को साथ लेकर चलने में परेशानी होगी। कोचिंग के बाद का उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा नहीं है।'

गांगुली ने ये भी खुलासा किया कि ग्रेग चैपल के भाई इयान ने भी डालमिया को आगाह किया था।

गांगुली के बताया, 'डालमिया ने फोन कर मुझे घर बुलाया और बताया कि उनके भाई इयान भी यही सोचते हैं कि ग्रेग को चुनना भारत के लिए सही फैसला नहीं होगा। मैंने इन सभी चेतावनी को नजरअंदाज किया और अपनी सोच के साथ जाने का फैसला किया। फिर जो हुआ वह इतिहास है।'

गांगुली अपनी किताब में लिखा है, 'साल- 2005 मेरे लिए सबसे बेचैन करने वाला साल रहा। न केवल बिना किसी कारण के अचानक मेरी कप्तानी ले ली गई बल्कि एक खिलाड़ी के तौर पर भी टीम से हटा दिया गया। मैं आज जब इसके बारे में लिख रहा हूं तो भी मुझे गुस्सा आ रहा है। जो भी हुआ वह सोच से परे, अक्षम्य और बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करने जैसा है।'

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