EPFO में ब्याज कम करने वाले वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव को श्रम मंत्रालय ने किया खारिज, जानें क्यों
highlights
- PF ब्याज दरों के लेकर दो मंत्रालयों में ठनी
- EPFO पर भिड़े श्रम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय
- श्रम मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय के अनुरोध को ठुकराया
नई दिल्ली:
श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ब्याज दरों (Intrest rates) को लेकर वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के आदेश को अस्वीकार करते हुए EPFO की ब्याज दरों में कटौती करने से इनकार कर दिया है. आपको बता दें कि मौजूदा EPFO पर कर्मचारियों को 8.65 प्रतिशत ब्याज मिलता है जिसे श्रम मंत्रालय ने कम करने से मना कर दिया है. सरकार के स्वामित्व वाले पेंशन फंड मैनेजर ने 2018-19 में पेश की गई 8.65 प्रतिशत ब्याज दर को कम करने के अनुरोध को खारिज कर दिया है.
इस मामले से परिचित सरकारी अधिकारियों ने कहा कि श्रम मंत्रालय का विचार है कि ईपीएफओ के पास 3,150 करोड़ रुपये से अधिक का अधिशेष है, जो मुख्य रूप से एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) में निवेश से अर्जित किया गया है. EPFO के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का कहा है कि उनके पास पर्याप्त रकम है, जिससे वे बढ़ी हुई ब्याज दरों पर रिटर्न देने में सक्षम हैं. साथ ही ट्रस्टीज ने लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पीएफ की ब्याज दर बढ़ाने के ऐलान का भी हवाला दिया है, ईपीएफओ 8.5 करोड़ इम्प्लाइज को यह ब्याज दर ऑफर करने जा रहा है.
वित्त मंत्रालय को मंजूर नही यह प्रस्ताव
श्रम मंत्रालय के अधीन आने वाले EPFO ने लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष के लिए ब्याज दर 8.55 फीसदी से बढ़ाकर 8.65 फीसदी करने का ऐलान किया था. लेकिन वित्त मंत्रालय श्रम मंत्रालयल के इस प्रस्ताव के विरोध में है. जानकारों के मुताबिक वित्त मंत्रालय को इस बात की चिंता है कि पीएफ पर अधिक रिटर्न देने पर बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं होगा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. इसके अलावा वित्त मंत्रालय यह भी चाहता है कि EPFO अपने पास फंड बचा के रखे. जबकि, सूत्रों के मुताबिक बढ़ी हुई ब्याज दर पर रिटर्न देने के बाद भी फंड के पास 150 करोड़ रुपए अतिरिक्त बचेंगे आपको बता दें कि लेबर यूनियंस भी ईपीएफओ के फैसले वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं.
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बैंकों को EPFO की ऊंची ब्याज दरों से डर
EPFO के ज्यादा ब्याज को लेकर भारतीय बैंकों को डर है कि पीएफ जैसी छोटी बचत योजनाओं और ईपीएफओ की ओर से ऊंची ब्याज दर दिए जाने के कारण लोग उनके पैसे नहीं जमा करेंगे बल्कि वो इस बचत को EPFO में ही रखकर ज्यादा से ज्यादा ब्याज पाने की कोशिश करेंगे. आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-2018 में EPFO ने पीएफ पर 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया था.
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