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बाजार से उठने लगा निवेशकों का भरोसा, एक बार फिर आया FD का जमाना, जानें क्यों

सितंबर 2018 में वित्तीय संकट शुरू होने के बाद जून के अंत तक सालाना डिपॉजिट (Deposit) ग्रोथ 8.1 फीसदी से बढ़कर 10.3 फीसदी हो गई है. बता दें कि डिपॉडिट में बढ़ोतरी ऐसे समय में देखने को मिली है.

Updated on: 09 Aug 2019, 11:40 AM

नई दिल्ली:

रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बावजूद निवेशक फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) की ओर रुख कर रहे हैं. दरअसल, NBFC के डिफॉल्ट और निवेश की गई रकम की निकासी पर सरकार द्वारा अंकुश लगाए जाने से डेट फंड्स (Debt Funds) में निवेश की वैल्यू घट गई है. ऐसी स्थिति में निवेशक अब कम यील्ड (Yield) वाले फिक्स्ड डिपॉजिट की ओर रुख कर रहे हैं. बता दें कि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को निवेश के लिए सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है.

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सालाना डिपॉजिट ग्रोथ बढ़कर 10.3 फीसदी हुई
सितंबर 2018 में वित्तीय संकट शुरू होने के बाद जून के अंत तक सालाना डिपॉजिट ग्रोथ 8.1 फीसदी से बढ़कर 10.3 फीसदी हो गई है. बता दें कि डिपॉडिट में बढ़ोतरी ऐसे समय में देखने को मिली है, जब रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार चौथी बार ब्याज दरों में कटौती कर दी है. रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में 0.35 फीसदी की कटौती की है.

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RBI ने रेपो रेट 5.75 फीसदी से घटाकर 5.40 फीसदी कर दिया है. जानकारों के मुताबिक सैद्धांतिक रूप से अगर विश्लेषण करें तो डेट म्यूचुअल फंड्स (Debt Mutual Funds) में निवेश बढ़ना चाहिए था, लेकिन इन म्यूचुअल फंड्स स्कीम से निवेश 31 फीसदी से घटकर 28 फीसदी पर आ गया है.

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क्या कहते हैं आंकड़े
सितंबर 2018 से जून 2019 के दौरान बैंक डिपॉजिट्स में 11.8 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि जून 2017 से जून 2018 के बीच डिपॉजिट 8.8 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. सितंबर 2018 से डेट म्यूचुअल फंड स्कीमों की ऐसेट्स में 20 हजार करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है.

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बता दें कि सितंबर 2018 में इंफ्रा-लेंडर IL&FS के लोन डिफॉल्ट के बाद NBFC सेक्टर में संकट का दौर शुरू हुआ. एनबीएफसी में ज्यादा निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड्स के स्कीमों की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में भारी गिरावट देखने को मिली है. यही वजह है कि डेट म्यूचुअल फंड की ओर से निवेशकों का रुझान घट गया है.