कभी सरकारी कंपनी रही मारुति प्राइवेट होते ही हुई मालामाल, जानें कैसे
सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के उस कथन को मजाक बनाया जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'यह देश नहीं बिकने दूंगा'. सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देने या विनिवेश को लेकर लोगों के बीच जो भ्रम है उसे क्लियर करना जरूरी है.
highlights
- 1982 में भारत सरकार और जापान की ऑटो कंपनी सुजुकी के ज्वाइंट वेंचर के तौर पर हुई थी.
- मारुति के शेयर ने 2003 में लिस्टिंग के बाद से बीते 16 साल में 5600% रिटर्न दिया है.
- अब हिंदुस्तान जिंक दुनिया की टॉप-3 जिंक खनन कंपनियों में से एक है.
नई दिल्ली:
नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने बीपीसीएल समेत 5 कंपनियों के विनिवेश को मंज़ूरी दे दी है. सरकार का टारगेट है कि इस साल वो ऐसा करके 1.05 लाख करोड़ रुपए कमाएगी. इसको लेकर विपक्ष जहां हमलावर है वहीं सोशल मीडिया पर पीएम मोदी के उस कथन को मजाक बनाया जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'यह देश नहीं बिकने दूंगा'. सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देने या विनिवेश को लेकर लोगों के बीच जो भ्रम है उसे क्लियर करना जरूरी है.
क्या है विनिवेश और निजीकरण
निजीकरण और विनिवेश को अक्सर एक साथ इस्तेमाल किया जाता है लेकिन निजीकरण इससे अलग है. इसमें सरकार अपनी कंपनी में 51 फीसदी या उससे ज़्यादा हिस्सा किसी कंपनी को बेचती है जिसके कारण कंपनी का मैनेजमेंट सरकार से हटकर ख़रीदार के पास चला जाता है.
प्राईवेट हाथों में आते ही बदली तकदीर
यह पहली बार नहीं जब सरकार ने किसी बड़ी कंपनी में विनिवेश का फैसला लिया हो. बता दें इससे पहले मारुति और हिंदुस्तान जिंक का भी निजीकरण किया गया और इसके बाद दोनों कंपनियां काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. मारुति के शेयर ने 2003 में लिस्टिंग के बाद से बीते 16 साल में 5600% रिटर्न दिया है.
मारुति सुजुकी की शुरुआत 1982 में तत्कालीन भारत सरकार और जापान की ऑटो कंपनी सुजुकी के ज्वाइंट वेंचर के तौर पर हुई थी. इस नए वेंचर में भारत सरकार की हिस्सेदारी 74% और जापान की ऑटो कंपनी सुजुकी की 26% थी. कुछ साल बाद सुजुकी नेअतिरिक्त शेयर खरीदकर अपनी हिस्सेदारी 50% तक बढ़ा ली.
1992 में भारत सरकार के शेयर वेंचर में 50% से कम रह गए. लिहाजा मारुति निजी कंपनी हो गई. 2002 में कंपनी की बागडोर पूरी तरह मारुति के हाथ में आ गई और 2007 में सरकार ने अपनी बची हुई हिस्सेदारी भी बेचकर कंपनी से बाहर हो गई.
मारुति सुजुकी के शेयर बीते 16 साल में 5600% चढ़े
जुलाई 2003 में मारुति सुजुकी का 125 रुपए के मूल्य पर आईपीओ आया. इस शुक्रवार यानी 22 नवंबर 2019 को मारुति सुजुकी के शेयर का क्लोजिंग प्राइस 7,065.00 रुपए रहा. मारुति सुजुकी के शेयर बीते 16 साल में 5600% चढ़े. निजी हाथों में आने के बाद मारुति सुजुकी आज देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी है.
दुनिया की 10 प्रमुख चांदी उत्पादक कंपनियों में भी शामिल
जहां तक हिंदुस्तान जिंक की बात करें तो इसकी शुरुआत 1966 में हुई थी. सरकार ने विनिवेश योजना के तहत 2002 में इसकी 26% हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया. स्टरलाइट इंडस्ट्रीज ने 26% शेयर सरकार से और 20% आम शेयरधारकों से खरीदे . सरकार ने 2003 में 18.92% और शेयर बेच दिए. अब हिंदुस्तान जिंक दुनिया की टॉप-3 जिंक खनन कंपनियों में से एक है.
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