Gold Silver Ratio क्या है, आइये इसे आसान भाषा में समझें
केडिया एडवाइजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक के मुताबिक सोने-चांदी (Gold-Silver) का रेश्यो अगर कम रहता है तो चांदी की कीमतों में तेजी के आसार ज्यादा रहते हैं.
नई दिल्ली:
मार्केट में कोई भी कमोडिटी या शेयर की चाल को समझने के लिए कारोबारी हर तरह के तरीके का इस्तमेंल करते हैं. इसके तहत प्राइस अर्निंग रेश्यो, अलग-अलग प्राइस ट्रेंड, सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल और कई तकनीकी रणनीति के जरिए भविष्य में आने वाली तेजी या मंदी का पता लगाने की कोशिश की जाती है. आज की इस रिपोर्ट में गोल्ड सिल्वर रेश्यो (Gold Silver Ratio) को समझने की कोशिश करते हैं.
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क्या है गोल्ड सिल्वर रेश्यो
केडिया एडवाइजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया के मुताबिक के मुताबिक सोने-चांदी (Gold-Silver) का रेश्यो अगर कम रहता है तो चांदी की कीमतों में तेजी के आसार ज्यादा रहते हैं. दरअसल, सोने-चांदी (Gold-Silver) का रेश्यो ये दर्शाता है कि एक औंस सोने से आप कितनी चांदी की खरीदारी की जा सकती है. मतलब यह हुआ कि यह रेश्यो जितना अधिक होगा, सोने की कीमत उतनी अधिक तेजी देखने को मिलेगी. वहीं अगर यह रेश्यो कम होता है तो समझिए कि चांदी में तेजी के संकेत मिल रहे हैं. इसको ऐसे समझें कि सोने में अगर निवेश बढ़ रहा है और चांदी में निवेश कम हो रहा है तो गोल्ड-सिल्वर (Gold-Silver) रेश्यो (Ratio) बढ़ जाएगा. अजय केडिया का कहना है कि 10 साल के गोल्ड सिल्वर का औसत रेश्यो 62 रहा है, जबकि मौजूदा समय में यह रेश्यो 86 के आस-पास है.
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कैसे निकालते हैं गोल्ड सिल्वर रेश्यो
गोल्ड सिल्वर के हिस्टोरिकल प्राइस (पिछला भाव) के आधार पर औसत भाव को निकाला जाता है. उदाहरण के लिए आप 1 औंस सोने से कितनी चांदी की खरीद कर पाएंगे उसे ही गोल्ड सिल्वर रेश्यो कहा जाता है. पिछले 100 साल के इतिहास में गोल्ड सिल्वर का औसत रेश्यो अधिकतम 96 की ऊंचाई तक पहुंचा है. हालांकि गोल्ड सिल्वर रेश्यो में समय के साथ बदलाव होता रहता है.
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सोना चांदी का अनुपात कब आता है उतार-चढ़ाव
सामान्तया वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के दौरान सोने की सुरक्षित निवेश के तौर पर मांग बढ़ जाती है. हालांकि यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि सोने में तेजी के साथ ही चांदी में भी तेजी देखने को मिले. अर्थव्यवस्था में मंदी के दौर में सोना महंगा होने पर सोने-चांदी का रेश्यो बढ़ जाता है. वहीं एक समय ऐसा भी आता है जब सोने की कीमतें इतनी बढ़ जाती हैं कि चांदी सस्ती लगने लग जाती है. ऐसे में लोगों का रुझान चांदी की ओर बढ़ जाता है. इस स्थिति में सोने-चांदी का रेश्यो कम होना शुरू हो जाता है. बता दें कि 2008 की वैश्विक मंदी के समय सोने-चांदी का रेश्यो बढ़कर 80 के पार पहुंच गया था. 2019 में भी सोने-चांदी का अनुपात 86 के करीब पहुंच गया है. यही वजह है कि लोगों को चांदी निवेश के लिए अधिक आकर्षित करने लगी है.
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