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भारत में मंदी को लेकर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिया बड़ा बयान

शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) के मुताबिक भविष्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों, बैंकों और NBFC में सुधार की प्रक्रिया चल रही है.

Updated on: 16 Dec 2019, 01:19 PM

नई दिल्ली:

मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) में मंदी का माहौल है. भारत में मंदी को लेकर रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने बयान दिया है कि वैश्विक कारण की वजह से ही सिर्फ भारत में मंदी नहीं आई है. इसके लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं. हालांकि उनका कहना है कि भारत में निवेश के पटरी पर वापस आने के संकेत साफ तौर पर दिखने लगे हैं. उन्होंने भरोसा दिया कि रिजर्व बैंक (RBI) आर्थिक सुस्ती, महंगाई, NBFC और बैंकों के स्वास्थ्य को लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे.

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लिक्विडिटी (Liquidity) को बढ़ाने पर रहेगा ज़ोर: शक्तिकांत दास
शक्तिकांत दास का कहना है कि सेंट्रल बैंक ने जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) में नरमी को देखते हुए समय से पहले कदम उठाया है. आरबीआई ने फरवरी से ब्याज दरों में कटौती की जा रही है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के लिए ब्याज दरों में कटौती के अलावा लिक्विडिटी (Liquidity) को भी बढ़ाने पर ज़ोर रहेगा. RBI ने कहा है कि 1,539 कंपनियों की सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि निवेश के पटरी पर वापस आने के साफ संकेत दिख रहे हैं.

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कंपनियों, बैंकों और NBFC में सुधार की प्रक्रिया जारी
शक्तिकांत दास के मुताबिक भविष्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कंपनियों, बैंकों और NBFC में सुधार की प्रक्रिया चल रही है. हालांकि ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने को लेकर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) का कहना है कि हाल की क्रेडिट पॉलिसी (Credit Policy) में ब्याज दरों में कटौती को लेकर कोई भी फैसला नहीं लिया गया. इस मसले पर बाजार क्यो हैरान दिख रहा है यह बात समझ नहीं आ रही है. उनका कहना है कि ब्याज दरों में कोई भी बदलाव नहीं करने का फैसला भविष्य में सही साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को विनिर्माण पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए.

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केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है. विवेकपूर्ण वृहद आर्थिक मानदंडों पर समझौता किए बिना, हमने ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती, धन उपलब्धता की स्थिति सुधारने जैसे कदम उठाए हैं. उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था पर सूचनाओं और आंकड़ों के आधार पर चर्चा करने की जरूरत है. शक्तिकांत दास का कहना है कि वैश्विक आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए उभरती और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की जरूरत है.