रोजगार बढ़ाने के लिए पीएम मोदी की आर्थिक सलाहाकार परिषद ने नहीं पेश किया कोई रोडमैप
पीएम की आर्थिक सलाहाकार समिति ने रोजगार पैदा करने और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिग के लिए कोई रोडमैप नहीं तैयार किया है, हालांकि मैक्रो इकोनॉमी, कृषि जैसे कई मुद्दों पर विचार किया है।
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहाकार समिति (ईएसी) ने नौकरी पैदा करने और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिग के लिए कोई रोडमैप नहीं तैयार किया है, लेकिन मैक्रो इकोनॉमी, कृषि, स्वास्थ्य जैसे कई मुद्दों पर विचार किया है।
ईएसी ने अब तक कुल तीन बैठके की हैं जिनमें मैक्रो इकोनॉमी, एग्रीकल्चर, ग्रामीण विकास, कौशल विकास, स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना, और अन्य क्षेत्रों के लिए हुई थी। यह बात राज्यमंत्री (योजना) इंद्रजीत सिंह ने बुधवार को लोकसभा को लिखित जानकारी दे कर बताई।
मंत्री ने कहा, 'विचार-विमर्श के आधार पर, परिषद समय-समय पर सरकार को सलाह प्रदान कर रही है लेकिन परिषद ने अभी तक नौकरी सृजन और बुनियादी ढांचा के वित्तपोषण के अवसरों के लिए कोई रोडमैप संबंधी पेपर जमा नहीं कराए हैं।'
वह एक सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या परिषद ने नौकरी सृजन और बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण के रास्ते तैयार करने के लिए एक स्पष्ट रुपरेखा तैयार की है या नहीं।
सरकार ने आर्थिक सलाहाकार परिषद का गठन नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय की अध्यक्षता में 26 सिंतबर 2017 को किया था।
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परिषद की ज़िम्मेदारी समय-समय पर आर्थिक और अन्य मुद्दों का विश्लेषण करना और प्रधानमंत्री मोदी को उसके बारे में जानकारी और सलाह देना है। इसके अलावा मैक्रो इकोनॉमी पर ध्यान देना और समय-समय पर पीएम को सलाह देना शामिल है।
जब मंत्री से यह सवाल पूछा गया कि क्या जीडीपी में बढ़ोतरी का असर रोजगार वृद्धि से जुड़ा है तो उन्होंने कहा, 'जीडीपी और रोजगार में बढ़त अनुरुप हो यह ज़रुरी नहीं, क्योंकि रोजगार पैदा करने में बढ़ोतरी तकनीकों, तकनीकों के इस्तेमाल, किस क्षेत्र में विकास, कौशल, कॉस्ट ऑफ कैपिटल, श्रम की भागेदारी समेत कई बिंदुओं पर निर्भर करती है।'
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उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की योजनाबद्ध कार्यक्रमों के अलावा, मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, सभी के लिए हाउसिंग, सागरमाला, जैसे अन्य प्रमुख कार्यक्रमों को शुरू कर किया है और इसके अलावा रोजगार को बढ़ाने के लिए जीएसटी जैसे सुधार लागू किए हैं।
बता दें कि साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र की एक श्रमिक रिपोर्ट में 2017 और 2018 में नौकरी पैदा करने में निष्क्रियता के चलते भारत में बेरोजगारी बढ़ने का अनुमान लगाया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बेरोजगारी पिछले साल के मुकाबले साल 2017 में 17.7 करोड़ रहने की संभावना है जबकि अगले साल 2018 में 17.8 करोड़ होने की संभावना है।
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