Two Years After GST: आसान नहीं था दुनिया की सबसे जटिल कर प्रणाली को लागू करना: अरुण जेटली
अब दो साल बाद यह देखना जरूरी होगा कि जीएसटी के क्या परिणाम आए हैं और इसके क्या प्रभाव पड़े हैं. इसके परिणामों का विश्लेषण करना भी जरूरी है.
नई दिल्ली:
आज गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) प्रणाली अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर गया है. इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली का पुनर्गठन का काम आसान नहीं था. जीएसटी को लागू करने की चुनौतियों के बीच गैर जरूरी टिप्पणियों से इसे जटिल बता दिया गया था, ताकि इसके बारे में अच्छी तरह किसी को जानकारी न मिल पाए. अब दो साल बाद यह देखना जरूरी होगा कि जीएसटी के क्या परिणाम आए हैं और इसके क्या प्रभाव पड़े हैं. इसके परिणामों का विश्लेषण करना भी जरूरी है. बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने "Two Years After GST" शीर्षक से फेसबुक पर एक ब्लॉग लिखकर यह टिप्पणी की है.
यह भी पढ़ें : मायावती ने योगी सरकार पर बोला हमला, 17 जातियों को SC में शामिल कर दिया धोखा
अरुण जेटली ने लिखा, एक संघीय ढांचे में केंद्र और राज्य दोनों वस्तुओं पर अप्रत्यक्ष कर लगाने के हकदार थे. राज्यों के पास कई कानून थे जो उन्हें अलग-अलग बिंदुओं पर कर लगाने का अधिकार देते थे. सबसे पहले, राज्यों को सहमत करना बहुत बड़ा काम था. दूसरी बात, संसद में सहमति बनाना भी पहाड़ चढ़ने जैसा था. राज्यों को अज्ञात डर से डराया गया था. जिन महत्वपूर्ण बिंदुओं ने सरकार को राज्यों को राजी करने में सक्षम किया, उन्हें 2015-16 के कर आधार से पांच साल की अवधि के लिए 14% वार्षिक वृद्धि के साथ फंड देना था.
अरुण जेटली ने ब्लॉग में लिखा है. GST ने सभी 17 अलग-अलग कानूनों को मिला दिया और एक एकल कराधान बनाया. जीएसटी से पहले वैट के लिए मानक दर 14.5% थी, 12.5% पर उत्पाद शुल्क और सीएसटी और कर पर कर के प्रभाव के साथ जोड़ा गया था. जिससे उपभोक्ता द्वारा देय कर 31% हो गया था. राज्य मनोरंजन कर के रूप में 35% से 110% कर लगा रहे थे. करदाताओं को कई रिटर्न भरने होते थे, कर निरीक्षकों का मनोरंजन करना होता था. एक जीएसटी ने इस परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया. आज केवल एक कर है, ऑनलाइन रिटर्न, नो एंट्री टैक्स, कोई ट्रक कतार और कोई अंतर-राज्य बाधाएं नहीं हैं.
यह भी पढ़ें : RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ली ट्विटर पर एंट्री, शुरुआत में ही जुड़े 8 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स
दो साल बाद अब कोई भी यह कह सकता है कि जीएसटी सभी के लिए अनुकूल है. जीएसटी से पहले उच्च कराधान ने उपभोक्ताओं की जेब को प्रभावित किया. पिछले दो साल में जीएसटी परिषद की हर बैठक में कर का बोझ कम ही किया गया है. 31% कर जो अस्थायी रूप से 28% था, ने सबसे बड़ा एकल सुधार देखा है. उपभोक्ता उपयोग की अधिकांश वस्तुओं को 18%, 12% और यहां तक कि 5% श्रेणी में लाया गया है. सिनेमा टिकट पर पहले 35% से 110% कर लगता था, अब इसे 12% और 18% तक लाया गया है. दैनिक उपयोग की अधिकांश वस्तुएं शून्य या 5% स्लैब में हैं. सामूहिक रूप से इस कटौती के कारण राजस्व को होने वाला घाटा सालाना 90,000 करोड़ रुपये से अधिक है.
यह भी पढ़ें : पीएम नरेंद्र मोदी से नाराज सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा, जा सकता हूं चीन
अरुण जेटली ने कहा, कई लोगों ने हमें चेतावनी दी थी कि जीएसटी लागू करना राजनीतिक रूप से सुरक्षित नहीं होगा. कई देशों में जीएसटी के कारण सरकारें चुनाव हार गई थीं, जबकि भारत में यह सहज रूप से हो गया. सूरत और कुछ जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए, जबकि वहां हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की. 2019 में, बीजेपी ने देश में सबसे अधिक अंतर से सूरत सीट जीती. जिन लोगों ने एक एकल स्लैब जीएसटी के लिए तर्क दिया, उन्हें यह महसूस करना चाहिए कि एक एकल स्लैब केवल अत्यंत समृद्ध देशों में ही संभव है जहां कोई गरीब लोग नहीं हैं. उन देशों में एकल दर लागू करना असंगत होगा जहां गरीबी रेखा से नीचे बड़ी संख्या में लोग हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
-
Sonam Kapoor Postpartum Weight Gain: प्रेगनेंसी के बाद सोनम कपूर का बढ़ गया 32 किलो वजन, फिट होने के लिए की इतनी मेहनत
-
Randeep Hooda: रणदीप हुडा को मिला लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, सोशल मीडिया पर जताया आभार
-
Kajol Workout Routine: 49 की उर्म में ऐसे इतनी फिट रहती हैं काजोल, शेयर किया अपना जिम रुटीन
धर्म-कर्म
-
Vikat Sanakashti Chaturthi 2024: विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत कब? बस इस मूहूर्त में करें गणेश जी की पूजा, जानें डेट
-
Shukra Gochar 2024: शुक्र ने किया मेष राशि में गोचर, यहां जानें किस राशि वालों पर पड़ेगा क्या प्रभाव
-
Buddha Purnima 2024: कब है बुद्ध पूर्णिमा, वैशाख मास में कैसे मनाया जाएगा ये उत्सव
-
Shani Shash Rajyog 2024: 30 साल बाद आज शनि बना रहे हैं शश राजयोग, इन 3 राशियों की खुलेगी लॉटरी