बासमती की क्या है कहानी, कैसे भारत बन गया सबसे बड़ा एक्सपोर्टर
जानकारों का कहना है कि गंगा के मैदानी इलाकों में पानी, मिट्रटी, हवा और तापमान की वजह से बासमती की क्वॉलिटी अन्य दूसरे चावल के मुकाबले सबसे बेहतर होती है.
highlights
- देहरादून की जलवायु, पानी की उपलब्धता को देखते हुए दोस्त मोहम्मद खान ने अफगानिस्तान से धान की कुछ किस्में मंगाईं
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत हर साल तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है
नई दिल्ली:
हिमालय की तलहटी में आने वाले गंगा के मैदानी इलाकों में बासमती चावल (Basmati Rice) का उत्पादन होता है. भारत के सात राज्यों पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में इसकी पैदावार होती है. वहीं पाकिस्तान के पंजाब के 14 जिलों में बासमती चावल का उत्पादन होता है. जानकारों का कहना है कि गंगा के मैदानी इलाकों में पानी, मिट्रटी, हवा और तापमान की वजह से बासमती की क्वॉलिटी अन्य दूसरे चावल के मुकाबले सबसे बेहतर होती है. यही वजह है कि बासमती को क्वीन ऑफ राइस भी कहा जाता है. माना जाता है कि बासमती का जन्म खूबसूरत वादियों में हुआ था. शुरुआत में यह चावल सिंधु नदी के किनारे बसे शहरों में पसंद किया गया और उसकी सहायक नदी झेलम से सटे शहरों में भी इसको खूब बनाया गया.
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फारसी व्यापारी भारत में खुशबूदार चावल की किस्में भी लाए थे
ऐसा माना जाता है कि जब फारसी व्यापारी भारत व्यापार के लिए आए तो वे अपने साथ हीरे आदि के साथ-साथ बेहतरीन खुशबूदार चावल की किस्में भी लेते हुए आए थे. भारतीय इतिहास में इसको लेकर कई बातें लिखी हुई हैं. सन 1839 के दौर में अंग्रेज भारत में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके थे और ईस्ट इंडिया कंपनी के जरिए व्यापार कर रहे थे. उस समय अफगानिस्तान में अमीर का शासन था. जानकारी के मुताबिक वर्ष 1826 में दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान का अमीर बना था. ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1839 में दोस्त मोहम्मद खान पर आक्रमण किया. यह युद्ध 1842 तक चला था उस युद्ध के नतीजे में अमीर दोस्त मोहम्मद को उसके पद से हटा दिया गया. उसके बाद दोस्त मोहम्मद को निर्वासित कर दिया गया था.
जानकारी के मुताबिक निर्वासित जीवन गुजारने के लिए दोस्त मोहम्मद खान को भारत में देहरादून भेजा गया. देहरादून की जलवायु, पानी की उपलब्धता को देखते हुए दोस्त मोहम्मद खान ने अफगानिस्तान से धान की कुछ किस्में मंगाईं और देहरादून में रोपाई कराई गई. आश्चर्य की बात यहा है कि यहां उगाया गया धान अफगान से भी ज्यादा बेहतर और उन्नत किस्म का था और ऐसे ही देहरादूनी बासमती आप सबके सामने आई.
हर साल तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है भारत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत हर साल तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है. पूरी दुनिया में बासमती चावल के एक्सपोर्ट में भारत की कुल हिस्सेदारी 70 फीसदी से ज्यादा है जबकि पाकिस्तान की हिस्सेदारी 30 फीसदी से कम है. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान के मुकाबले भारत में काफी बड़े क्षेत्रफल में बासमती की बुआई की जाती है. इसके अलावा पाकिस्तान की बासमती की तुलना में भारत के बासमती की क्वॉलिटी काफी ऊंचे दर्जे की है.
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