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रुलाते हुए प्याज ने बिगाड़ा खाने का जायका, हफ्ते भर में दोगुनी हुई कीमतें

पिछले एक हफ्ते में ही प्‍याज के कीमतें दोगुनी तो कहीं-कहीं इससे भी अधिक हो चुकी हैं. देशभर में प्याज की आवक कमजोर होने से रोज इसके दाम में इजाफा हो रहा है.

Updated on: 22 Sep 2019, 04:44 PM

highlights

  • एक हफ्ते में ही प्याज की कीमतों में दोगुना के लगभग वृद्धि.
  • भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात से मंडियों में आवक कमजोर.
  • अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक देखने में आएगी कीमतों में तेजी.

नई दिल्ली:

प्याज की आसमान छूती कीमतों से फिर आम आदमी रो रहा है. स्थिति यह आ गई है कि एक बड़े तबके की थाली से प्याज गायब हो गया है. पिछले एक हफ्ते में ही प्‍याज के कीमतें दोगुनी तो कहीं-कहीं इससे भी अधिक हो चुकी हैं. देशभर में प्याज की आवक कमजोर होने से रोज इसके दाम में इजाफा हो रहा है. कारोबारियों की मानें तो प्याज का स्टॉक काफी कम है, इसलिए मंडियों में आवक कमजोर है. इसकी सीधा असर उसकी बढ़ती कीमतों के रूप में सामने आया है. हफ्ते भर पहले तक प्याज 40 से 45 रुपए किलो के भाव बिक रहा था.

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भारी बारिश से आवक कमजोर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्याज का उत्पादन करने वाले राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति से कीमतों में इस कदर तेजी देखने को मिल रही है. भारी बारिश के कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से उत्तर भारत में प्याज की नई फसल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. साथ ही केरल, कनार्टक, गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ राज्यों में भारी बारिश की वजह से प्याज की कीमतों में भारी उछाल आया है.

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अभी और बढ़ेंगी कीमतें
वहीं बाजार पर निगाह रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो बाजार में अच्छे प्याज की कमी होने के बाद आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में और अधिक तेजी देखने को मिल सकती है. अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह तक प्याज की कीमतों में तेजी जारी रहेगी. गौरतलब है कि लगभग चार साल पहले प्याज की कीमतों में इतनी तेजी देखने में आई थी. उस साल बाढ़ से फसल बर्बाद होने के बाद प्याज की कीमतें 100 रुपये ​प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई थीं.

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कई कारोबारियों ने स्टॉक का प्याज होल्ड किया
आवक तो कमजोर है ही, वहीं मोटा मुनाफा पीटने के चक्कर में कई किसान और कारोबारी प्याज के स्टॉक को बाजार में नहीं ला रहे हैं. यह चलन हर साल देखने में आता है, जब बेहतर मुनाफा कमाने के लिए प्याज का स्टॉक रोक लिया जाता है और जब भाव बढ़ जाता है तो इसका फायदा उठाया जाता है. यह तब है जब प्याज के भाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने पिछले सप्ताह ही न्यूनतम निर्यात मूल्य यानी एमईपी 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित कर दिया था. सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया ताकि घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई में कमी नहीं आए.