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दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020:- क्यों हैं पूर्वांचली मतदाताओं पर सबकी नजर?

वहीं आम आदमी पार्टी भी किसी से कम नहीं है उसने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पूर्वांचली और कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा को अपने पाले में लाकर द्वारका से चुनावी मैदान में उतर दिया है.

Updated on: 20 Jan 2020, 04:02 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों की रणनीति बिसात पूर्वांचली मतदाताओं के इर्ध गीर्थ घूमती हुई नजर आ रही है. पूर्वांचलियों को भारतीय जनता पार्टी से मनोज तिवारी रिझाने में लगे है तो कांग्रेस ने पूर्व संसद कीर्ति आज़ाद को मैदान उतारा है. वहीं आम आदमी पार्टी भी किसी से कम नहीं है उसने एक कदम आगे बढ़ाते हुए पूर्वांचली और कांग्रेस नेता महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा को अपने पाले में लाकर द्वारका से चुनावी मैदान में उतर दिया है.

दरअसल दिल्ली में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग बड़ी तादात में रहते हैं. कहा जाता है कि दिल्ली की तकरबीन 20-22 सीटों पर पूर्वाचल और बिहार के मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है। यही कारण है कि हर सियासी दल पूर्वाचल के मतदाताओं पर पैनी नजर रख रहा है. जिसकी वजह से कांग्रेस ने आरजेडी के लिए चार सीटे छोड़ी है तो बीजेपी ने जदयू से दो सीटों पर समझौता किया है. दिल्ली में बीजेपी और जेडीयू के साथ गठबंधन पहली बार गठबंधन हुआ है.

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इस मसले पर दिल्ली सरकार के उपमुखयमंत्री मनीष सिसोदिया ने न्यूज़ नेशन से Exclusive बातचीत करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार की पिछले 5 साल रिकॉर्ड सबके सामने है. हमारी सरकार ने हर तबके के लिए काम किया है। किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं हुआ है. 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के यूपी और बिहार से संबंध रखने वाले 12 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.

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चुनाव पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने न्यूज़ नेशन से खास बातचीत में कहा कि दिल्ली में पूर्वांचल का मतदाता मोदी जी की नीतियों के साथ है.  वहीं दिल्ली कांग्रेस के पूर्व मुखिया अजय मकान के मुताबिक दिल्ली में रहने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को सबसे ज़्यादा अधिकार कांग्रेस की सरकारों ने दिया है. और इसका सबूत सबके सामने है.

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान है. चुनाव के नतीजों की घोषणा 11 फरवरी को होगी