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त्रिपुरा में ढह गया 25 साल पुराना 'वाम' किला, अब बीजेपी की खड़ी होगी दीवार

बीजेपी ने अपने सहयोगी आईपीएफटी के साथ मिलकर त्रिपुरा में पिछले 25 साल से सत्ता में काबिज वाम मोर्चा को 2018 विधानसभा चुनाव में कड़ी शिकस्त देते हुए शनिवार को अजेय बहुमत हासिल की।

Updated on: 03 Mar 2018, 11:14 PM

अगरतला:

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सहयोगी आईपीएफटी के साथ मिलकर त्रिपुरा में पिछले 25 साल से सत्ता में काबिज वाम मोर्चा को 2018 विधानसभा चुनाव में कड़ी शिकस्त देते हुए शनिवार को अजेय बहुमत हासिल की।

बीजेपी और उसकी गठबंधन पार्टी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने प्रदेश की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर हुए चुनाव में 43 सीटें हासिल कर मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) की अगुवाई वाली वाममोर्चा की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया।

राज्य में बीजेपी ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि आईपीएफटी की झोली में आठ सीटें आई हैं।

गौरतलब है कि 2013 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को त्रिपुरा में एक भी सीट नहीं मिली थी जबकि कुल मतों का सिर्फ 1.5 फीसदी ही वोट बीजेपी को मिले थे। जबकि इस चुनाव में बीजेपी को 43 फीसदी मत मिले हैं। वहीं, आईपीएफटी को 7.5 फीसदी वोट मिले हैं।

ढाई दशक प्रदेश की सत्ता में रही सीपीएम को 42.8 फीसदी मतों के साथ 16 सीटों पर जीत मिली है। वाम मोर्चे को पिछले चुनाव में 50 सीटों पर जीत मिली थी जबकि 10 सीट कांग्रेस के खाते में गई थीं। कांग्रेस को इस बार महज 1.8 फीसदी वोट मिले हैं जबकि पार्टी जीत का खाता खोलने से भी वंचित रही।

बीजेपी ने त्रिपुरा में पहली बार जीत का परचम लहराया है और इस तरह असम, मणिपुर और नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के बाद त्रिपुरा में भी बीजेपी व उसकी सहयोगी के गठबंधन की सरकार बनने जा रही है।

बीजेपी के विजेताओं में राज्य इकाई के बीजेपी अध्यक्ष बिप्लब कुमार देब (बनामालीपुर), सुदीप रॉय बर्मन (अगरतला), रतनलाल नाथ (मोहनपुर), ए.रामपदा जमातिया (बगमा), दिलीप कुमार दास (बरजाला), दिबा चंद्र रांगकावल (करमचरा), आशीष कुमार साहा (बोरोवाली), रतन चक्रबर्ती (खायेरपुर), अतुल देबबर्मा (कृष्णपुर), सुशांत चौधरी (मजलिसपुर) हैं।

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दिग्गज वाम उम्मीदवारों में निवर्तमान जनजातीय कल्याण मंत्री अघोर देबबर्मा (आश्रमबाड़ी), परिवहन व ऊर्जा मंत्री मानिण्क डे (मजलिसपुर) वन एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेश चंद्र जमातिया (बगमा), उपसभापति पबित्रा कर (खायेरपुर) और मुख्य सचेतक बसुदेब मजूमदार (बेलोनिया) चुनाव हार गए।

मुख्यमंत्री माणिक सरकार धनपुर सीट पर विजयी हुए हैं। वह पिछले 20 साल से प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं।

वाम दल के विजेताओं में मुख्यमंत्री और सीपीएम पोलितब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार (धनपुर), स्वास्थ्य एवं लोककल्याण मंत्री बादल चौधरी (ऋषमुख), शिक्षा मंत्री तपन चक्रबर्ती (चांदीपुर), सूचना, खाद्य एवं नगारिक आपूर्ति मंत्री भानूलाल साहा (बिशालगढ़), खेल एवं युवा मामलों के मंत्री शाहिद चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष रामेंद्र चंद्र देबबर्मा और जेल मंत्री महिंद्रा रेंग शामिल हैं।

प्रदेश विधानसभा चुनाव में कुल 290 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे जिनमें 23 महिलाएं थीं।

प्रदेश के 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों पर 18 फरवरी को शांतिपूर्ण तरीके से हुए मतदान में कुल 92 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था, जो भारत के चुनाव इतिहास में एक मिसाल है।

जनजातीय सुरक्षित सीट चारीलम में 12 मार्च को मतदान होगा। यहां माकपा उम्मीदवार नारायण देबबर्मा का निधन हो जाने से मतदान नहीं हो पाया था। 

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