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आखिर किसलिए अपने परमाणु जखीरे को बढ़ा रहा है चीन? रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

न्यूक्लियर हथियारों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट मिली है. इस रिपोर्ट के अनुसार, जो देश अपने परमाणु जखीरे को ज्यादा तेजी से बढ़ा रहा है वो अमेरिका या रूस नहीं बल्कि चीन है.

Updated on: 13 Jun 2023, 07:06 PM

highlights

  • न्यूक्लियर हथियारों को लेकर रिपोर्ट आई है
  • देश अपने परमाणु जखीरे को सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ा रहा
  • पाकिस्तान ने पांच और भारत चार हथियारों का इजाफा किया है

नई दिल्ली:

फरवरी 2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये जंग इतनी लंबी खिंच जाएगी..लेकिन जिस तरह से अमेरिका और उसके सहयोगी नाटो देशों ने यूक्रे्न को हथियारों की सप्लाई की है, उसने यूक्रेन को रूस के सामने मजबूती के खड़ा कर दिया.. यूक्रेन की जंग में रूस जैसे मजबूत देश के घिर जाने से सवाल खड़ा हो गया है. क्या ये जंग आगे चलकर वर्ल्ड वॉर में बदल जाएगी और क्या इस जंग में परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल होगा ..और अगर ऐसा हुआ तो क्या बाकी देश चुप बैठेंगे और अगर नहीं बैठे तो किस देश के पास  कितनी न्यूक्लियर पावर है..

न्यूक्लियर हथियारों को लेकर रिपोर्ट आई है जो आपको चौंका सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक जो देश अपने परमाणु जखीरे को सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ा रहा है वो अमेरिका या रूस नहीं बल्कि चीन है.. सवाल है कि आखिर चीन क्यों लगातार अपने परमाणु जखीरे को बढ़ा रहा है, उसके निशाने पर कौन है और क्यों भारत को डरने की जरूरत है.. लेकिन सबसे पहले हम आपको उस रिपोर्ट के बारे में बताते हैं जिसने बताया है कि मौजूदा वक्त में किस देश के पास कितनी न्यूक्लियर पावर है.

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पृथ्वी के सर्वनाश का डर लगा रहता है

न्यूक्लियर पावर,यानी ऐसे हथियार जो पलक झपकते ही लाखों इंसानों की जान ले ले..एक ऐसा हथियार जिससे हमेशा इस पृथ्वी के सर्वनाश का डर लगा रहता है..अभी तक बस दो ही बार परमाणु हथियार का इस्तेमाल हुआ है जो अमेरिका ने दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के खिलाफ किया था. अमेरिका के बाद सोवियत संघ यानी रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन ने भी परमाणु हथियार बनाए और अब भारत, पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया को पास भी परमाणु हथियार हैं.

अब हम आपको बताते हैं कि दुनिया में किन देशों के पास कितने परमाणु हथियार हैं. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रूस के पास 4,489, अमेरिका के पास 3,708, चीन के पास 410, फ्रांस के पास 290, ब्रिटेन के पास 210, पाकिस्तान के पास 170 और भारत के पास 164 परमाणु हथियार हैं.

दुनिया के करीब 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं

यानी दुनिया के सबसे ज्यादा परमाणु हथियार रूस के पास है जबकि अमेरिका और रूस के पास मिलाकर दुनिया के करीब 90 फीसदी परमाणु हथियार हैं. लेकिन इस रिपोर्ट का एक और पहलू है जो बेहद चौंकाने वाला है.और उसके मुताबिक पिछले एक साल में अपने परमाणु जखीरे में रूस ने 12, अमेरिका ने शून्य, चीन ने 60 पाकिस्तान ने पाकिस्तान ने पांच और भारत चार हथियारों का इजाफा किया है. यानि पिछले एक साल में चीन ने सबसे ज्यादा परमाणु हथियार बनाए हैं. पिछले साल आई अमेरिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन साल 2035 तक अपने परमाणु जखीरे में हथियारों की संख्या 1500 तक ले जा सकता है.

अब सवाल उठता है कि आखिरकार चीन अपने परमाणु हथियारों की संख्या में लगातार इजाफा क्यों करता जा रहा है. दरअसल चीन अब खुद को अमेरिका ही तरह सुपर पावर के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहता है. भारत ऐसा देश है जिनके साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है और चीन ये बात अच्छी तरह जानता है  कि ताकत के बल पर ही विवादों को अपने मनमाफिक तरीके से हल किया जा सकता है.

य़ूक्रेन युद्ध ने चीन को सतर्क भी कर दिया है. जिस तरह से नाटों देशों ने यूक्रेन में रूस की हालत पतली की है, उससे चीन को भी इस बात का अंदेशा हो गया है कि आज नहीं तो कल, अमेरिका के साथ चीन का आमना-सामना हो सकता है. प्रशांत महासागर के इलाके में ऐसे कई मसले हैं, जिनको लेकर अमेरिका चीन को आंख दिखाता रहा है. कई बार समंदर में दोनों देशों की नेवी आमने-आई है.

अमेरिका के दोस्त देशों के साथ चीन के ताल्लुक ठीक नहीं 

इसके अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया और साउथ कोरिया जैसे अमेरिका के दोस्त देशों के साथ चीन के ताल्लुक ठीक नहीं चल रहे हैं. लेकिन चीन और अमेरिका के बीच इस वक्त सबसे बड़ा मसला ताइवान आ खड़ा हुआ है. चीन किसी भी हाल में इस छोटे से द्वीप को खुद में मिलाना चाहता है लेकिन अमेरिका ताइवान की स्वायत्तता के पक्ष में है. दरअसल साल 1949 में चीन की कम्युनिस्ट क्रांति के बाद वहां की च्यांग काई शेक सरकार ने इसी द्वीप में शरण ली थी. कई सालों तक ताइवान को ही असली चीन के तौर पर मान्यता मिली रही. चीन हमेशा से ही इसे अपना हिस्सा मानता रहा और  ताइवान में स्वायत्त शासन बना रहा. चीन अब काफी मजबूत हो चुका है और इस बात की आशंका अक्सर जताई जाती रही है. उसके प्रेजीडेंट शी जिनपिंग कभी भी अपनी फौज को ताइवान पर कब्जा करने का हुक्म दे सकते हैं.

अक्सर चीन के फाइटर जेट्स ताइवान के एयर स्पेस में खुस जाते हैं तो वहीं चीन की लीडर्स भी ताइवान को लेकर भड़काऊ बयान देते रहते हैं. ताइवान पर चीन के हमले की आशंका के बीच अमेरिका ताइवान की स्वायत्तता को बचाने को लेकर हर तरह की कोशिश कर सकता है. अमेरिका लंबे वक्त से ताइवान को अपने बड़े हथियार मुहैया करा रहा है. चीन को डर है कि कहीं ताइवान के मसले पर अमेरिका के साथ उसकी जंग ना हो जाए या फिर कहीं अमेरिका उसे वैसे ही निा घेर ले जैसे नाटो के जरिए यूरोप में रूस को घेरा गया है.

क्वॉड के तौर पर एक गठबंधन बनाया है

वैसे अमेरिका ने  चीन से परेशान भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया को मिलाकर क्वॉड के तौर पर एक गठबंधन बनाया है जिसे चीन अपने खिलाफ एक मिलिट्री गठबंधन मानता है.लिहाजा चीन अब खुद को और ज्यादा मजबूत दिखाने के लिए अपने परमाणु हथियारों की संख्या में इजाफा करता जा रहा है. हालांकि भारत को इससे ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत के पास भी परमाणु हथियार मौजूद है.

भारत के पास राफेल और मिराज 2000 जैसे फाइटर जेट्स हैं, जो परमाणु हथियार ले जा सकते हैं. भारत की अग्नि मिसाइल चीन के भीतर तक घुस कर परमाणु हमला करने में सक्षम है. अरिहंत के तौर पर भारत के पास न्य़ूक्लियर सबमरीन भी है जो समंदर के अंदर से परमाणु हमला कर सकती है. यानी अगर भारत पर चीन की ओर से परमाणु हमला होता है तो भारत के पास सेकेंड स्ट्राइक करने का पूरा साजोसामन मौजूद है. लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है चीन की बढ़ती हुई ताकत के हिसाब से खुद को तैयार करना बेहद जरूरी है.