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Ukraine Crisis: अब बाइडन प्रशासन इस तरह बना रहा भारत पर दबाव

आमतौर पर डिप्लोमेटिक केबल विदेशों में स्थित अमेरिकी दूतावास भेजे जाते हैं. इनके जरिये राजनयिकों को अमेरिका के आंतरिक नीतिगत फैसले और आदेशों के भेजने और प्राप्त करने का काम होता है.

Updated on: 04 Mar 2022, 07:33 AM

highlights

  • अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने दी CAATSA की धमकी
  • अब अमेरिकी विभाग ने डिप्लोमेटिक केबल भेज कर वापस मंगा लिया
  • रूस-यूक्रेन मसले पर दोनों देशों के तटस्थ रुख से असहज है यूएस

नई दिल्ली/वॉशिंगटन:

रूस-यूक्रेन (Ukraine) मसले पर अभी तक भारत ने तटस्थ भूमिका ही अपना रखी है. भले ही वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद हो या फिर संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक. इसे देख अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने विगत दिनों ही लगभग चेताते हुए कहा था कि भारत पर ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट’ (CAATSA) के तहत अमेरिकी प्रशासन के पास ईरान, उत्तर कोरिया या रूस (Russia) के साथ महत्वपूर्ण लेन-देन करने वाले किसी भी देश के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का अधिकार है. इस कड़ी में अब पता चला है कि यूएनएससी (UNSC) और यूएनजीए (UNGA) से वोटिंग पर गैरहाजिर रहने वाले भारत (India) और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भेजे गए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के डिप्लोमेटिक इस्तेमाल में आने वाले केबल को वापस ले लिया है. 

इस काम आता है अमेरिकी डिप्लोमेटिक केबल
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक आमतौर पर डिप्लोमेटिक केबल विदेशों में स्थित अमेरिकी दूतावास भेजे जाते हैं. इनके जरिये राजनयिकों को अमेरिका के आंतरिक नीतिगत फैसले और आदेशों के भेजने और प्राप्त करने का काम होता है. भेजने के पहले केबल को विदेश विभाग में संबंधित पक्षों से जोड़ा जाता है और फिर कई अधिकारियों द्वारा इसकी जांच की जाती है. इस कड़ी में पता चला है कि बाइडन प्रशासन ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद के सदस्य भारत और यूएई को डिप्लोमेटिक केबल भेजा और मंगलवार को ही वापस ले लिया. 

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अमेरिकी न्यूज वेबसाइट का खुलासा
अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एक्सिऑस की रिपोर्ट के मुताबिक केबल को किसी खराबी को दूर करने के लिए वापस लिया गया या फिर रूस को लेकर दोनों देशों से अमेरिका के मतभेद के कारण वापस लिया गया, यह अभी साफ नहीं है. हालांकि अमेरिकी मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना था कि केबल को गलती से भेजा गया था, इसलिए उसे वापस लेना पड़ा. केबल को लेकर किसी तरह की जांच-पड़ताल के लिए इसे वापस नहीं लिया गया. यह अलग बात है कि एक्सिऑस के मुताबिक केबल के जरिए अमेरिकी अधिकारी भारत और यूएई से रूस पर अपनी स्थिति में बदलाव की बात कह रहे थे.

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भारत-यूएई पर यूक्रेन को समर्थन का दबाव
इस पूरे घटनाक्रम से वाकिफ एक अन्य सूत्र के मुताबिक केबल के एक टैंम्प्लेट में लिखा गया था, 'आप यूएनएससी में बातचीत पर जोर देते रहे हैं, जो आपका तटस्थ रुख नहीं है. इसके उलट ये रुख आपको रूस के खेमे में शामिल करता है, जो हालिया तनाव में हमलावर है. हम आपको मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, एक अवसर जिसे आप संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खो चुके हैं.' माना जा रहा है कि सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू का बयान और केबल वापस मंगाने की कवायद वास्तव में भारत में अपरोत्र बनाने की कूटनीतिक कोशिश भर है.