Taliban की इस्लाम की व्याख्या से इस्लामी दुनिया चिंतित: रिपोर्ट
तालिबान ने इस्लाम की अपनी व्याख्या के आधार पर ही शरिया (Sharia) कानूनों को लागू किया है. यह अलग बात है कि तालिबान नेता जोर देकर कहते हैं कि उनकी नीतियां इस्लामी न्यायशास्त्र पर आधारित हैं.
highlights
- तालिबान ने इस्लाम की अपनी व्याख्या पर लागू किया कट्टर शरिया काननों को
- इस्लामिक सहयोग संगठन ने तालिबान को तरीके सुधारने की नसीहत भी दी
- महिलाओं-लड़कियों को शिक्षा से रोकना इस्लामी कानूनों का है उल्लंघन
काबुल:
इस्लामी दुनिया तालिबान (Taliban) द्वारा इस्लाम की व्याख्या को लेकर खासी चिंता में है, क्योंकि यह उनके समक्ष राजनीतिक चुनौतियां खड़ी कर रही है. दुबई स्थित मीडिया नेटवर्क अल अरेबिया के अनुसार तालिबान ने इस्लाम की अपनी व्याख्या के आधार पर ही शरिया (Sharia) कानूनों को लागू किया है. यह अलग बात है कि तालिबान नेता जोर देकर कहते हैं कि उनकी नीतियां इस्लामी न्यायशास्त्र पर आधारित हैं. डॉन अखबार में स्तंभकार मोहम्मद आमिर राणा ने दावा किया कि पाकिस्तान (Pakistan) उन मुस्लिम देशों में से है, जिसने खुद को अफगान तालिबान की अवधारणा और इस्लामी कानूनों से दूर कर लिया है. पाकिस्तान में कट्टरपंथी सुन्नी संगठन तालिबान का वैचारिक प्रभाव आज तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के रूप में दिखाई देता है. अल अरबिया पोस्ट के अनुसार तालिबान ने शरिया को लागू करने और अफगानिस्तान (Afghanistan) की महिलाओं को अपनी ही जमीन पर बहिष्कृत करने के लिए जो भी कदम उठाया है, वह पाकिस्तान को तालिबान के साथ उसके ऐतिहासिक संबंधों से दूरी बनाने पर मजबूर कर रहा है.
इस्लामिक देशों ने गैर-इस्लामी प्रतिबंधों पर फिर से विचार करने को कहा
यहां तक कि इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी अफगान महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई पर भवें तान तालिबान को अपने तरीके सुधारने की नसीहत दी है. दिसंबर 2022 में 57 ओआईसी सदस्य देशों ने अफगानिस्तान पर एक विशेष बैठक की और तालिबान से संयुक्त राष्ट्र चार्टर में निहित सिद्धांतों और उद्देश्यों का पालन करने का आह्वान किया. अल अरबिया पोस्ट के अनुसार, ओआईसी ने तालिबान से महिलाओं की शिक्षा पर गैर-इस्लामिक प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करने का भी आह्वान किया. साथ ही तालिबान को असली इस्लाम सिखाने के लिए एक अभियान शुरू करने को कहा जो महिलाओं को शिक्षा देने को प्रोत्साहित करे. सऊदी अरब की अध्यक्षता वाली ओआईसी कार्यकारी समिति ने अफगानिस्तान पर चर्चा के लिए जनवरी 2023 में फिर से बैठक की. बैठक में अन्य बातों के साथ-साथ फिर याद दिलाया गया कि विश्वविद्यालय शिक्षा समेत सभी स्तरों तक पहुंच महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा इस्लामी शरीयत की शिक्षाओं को ध्यान में रखते हुए एक मौलिक अधिकार है.
यह भी पढ़ेंः चीन के पड़ोस में कोरोना नहीं, बल्कि दूसरी वजह से लगा सख्त लॉकडाउन
संयुक्त राष्ट्र ने भी जताई चिंता
मिस्र के अल-अजहर विश्वविद्यालय के ग्रैंड इमाम के अनुसार महिलाओं की शिक्षा पर तालिबान के प्रतिबंध ने इस्लामी कानून का खंडन किया. अल अरेबिया पोस्ट के अनुसार इस्लामी दुनिया तालिबान की इस्लाम की व्याख्या को लेकर चिंतित है क्योंकि यह एक राजनीतिक चुनौती बन रही है. आज कई इस्लामी समाजों ने स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के आधुनिक मूल्यों के साथ तारतम्यता हासिल कर ली है. हालांकि तालिबान नेताओं का कहना है कि उनकी नीतियां इस्लामी न्यायशास्त्र पर आधारित हैं. गौरतलब है कि इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने मंगलवार को अफगानिस्तान में तालिबान से लड़कियों की माध्यमिक और उच्च शिक्षा तक पहुंच पर प्रतिबंध को हटाने का आह्वान किया था. शिक्षा को मौलिक अधिकार बताते हुए गुतारेस ने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी देश सभी के लिए स्वागत योग्य और समावेशी शिक्षण वातावरण विकसित करने के लिए वास्तविक कदम सुनिश्चित करें.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
-
SRH vs RR Dream11 Prediction : हैदराबाद और राजस्थान के मैच में ये हो सकती है ड्रीम11 टीम, इन्हें चुने कप्तान
-
SRH vs RR Pitch Report : बल्लेबाज मचाएंगे धमाल या गेंदबाज मारेंगे बाजी? जानें कैसी होगी हैदराबाद की पिच
-
T20 World Cup 2024 टीम में नहीं मिला SRH और LSG के एक भी खिलाड़ी को मौका, IPL के इस टीम का दबदबा
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Ganga Dussehra 2024: इस साल गंगा दशहरा पर बन रहा है दुर्लभ योग, इस शुभ मुहूर्त में स्नान करें
-
Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीय के दिन करें ये उपाय, चुम्बक की तरह खिंचा चला आएगा धन!
-
May 2024 Panchak: आज से शुरू हुआ है गुरू पंचक, अगले 5 दिन ना करें कोई शुभ काम
-
Love Rashifal 2 May 2024: प्रेम और वैवाहिक जीवन के लिए कैसा रहेगा गुरुवार का दिन, पढ़ें लव राशिफल