श्रीलंका 24 अगस्त को वापस लौट सकते हैं भगौड़े राष्ट्रपति राजपक्षे
सिंगापुर में लगभग एक महीने रहने के बाद भूतपूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे बीते सप्ताह ही थाईलैंड पहुंचे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड में भी उन्हें प्रवेश श्रीलंका सरकार के अनुरोध के बाद दिया गया.
highlights
- गोटाबाया राजपक्षे के चचेरे भाई ने वापसी की तारीख बताई
- गृह युद्ध के दौरान मिग सौदे पर करोड़ों की दलाली का आरोप
- श्रीलंकाई जनता राजपक्षे परिवार को मान रही दुर्दशा का जिम्मेदार
कोलंबो:
ऐतिहासिक आर्थिक मंदी से उपजी ईंधन जैसी जरूरी चीजों की कमी से त्रस्त आवाम के सड़कों पर उतरने और फिर उसके हिंसक प्रदर्शन के बीच राष्ट्रपति आवास पर कब्जे से ऐन पहले श्रीलंका से भागने वाले भूतपूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapkasa) अगले सप्ताह अपने द्विपीय देश वापस लौट सकते हैं. श्रीलंका के अखबार डेली मिरर ने गोटाबाया राजपक्षे के चचेरे भाई और श्रीलंका के रूस में भूतपूर्व राजदूत उदयंगा वीरतुंगा (Udayanga Weeratunga) के हवाले से लिखा है कि गोटाबाया 24 अगस्त को श्रीलंका (Sri Lanka) लौट आएंगे. गौरतलब है कि गोटाबाया कोलंबो छोड़कर सिंगापुर (Singapore) भाग गए थे और उन्होंने वहीं से राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया. अखबार के मुताबिक राजपक्षे की वापसी से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए वीरतुंगा ने कहा, 'हो सकता है वापसी की तारीख में कोई बदलाव हो जाए, लेकिन मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ 24 अगस्त की बात कह रहा हूं. अगर वह (गोटाबाया राजपक्षे) बाद में वापसी की तारीख बदल देते हैं, तो उसमें मैं कुछ नहीं कर सकूंगा.'
रक्षा सचिव रहते राजपक्षे के चचेरे भाई पर लगा मिग सौदे में दलाली का आरोप
गौरतलब है कि 2006 में तमिल विद्रोहियों और श्रीलंका सेना के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान वीरतुंगा पर यूक्रेन से मिग-27 लड़ाकू विमानों की खरीद में लाखों डॉलर के भ्रष्टाचार का आरोप था. इस सिलसिले में इस साल फरवरी में उदयंगा को गिरफ्तार किया गया था और कई महीने बाद उन्हें जमानत मिल सकी थी. श्रीलंका के क्रमिनिल इंवेस्टीगेशन विभाग के समक्ष मिग-27 सौदे पर बयान दर्ज कराने के बाद ही वीरतुंगा को जमानत की राह आसान हो सकी. श्रीलंका में छिड़े गृहयुद्ध के दौरान हुए सौदे के समय गोटाबाया राजपक्षे रक्षा मंत्रालय में रक्षा सचिव थे. ऐसे में उदयंगा वीरतुंगा से पत्रकारों ने जानना चाहा था कि स्वदेश वापसी के बाद क्या गोटाबाया सक्रिय राजनीति में फिर प्रवेश करेंगे. इसके जवाब में उदयंगा ने कहा, 'वह (गोटाबाया) शातिर राजनीतिज्ञ नहीं हैं, लेकिन एक चतुर सैन्य अधिकारी जरूर हैं. मुझे नहीं लगता कि वह फिर से जनता को मूर्ख बना सकेंगे'.
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फिलहाल थाईलैंड में हैं गोटाबाया राजपक्षे
अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार सिंगापुर में लगभग एक महीने रहने के बाद भूतपूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे बीते सप्ताह ही थाईलैंड पहुंचे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड में भी उन्हें प्रवेश श्रीलंका सरकार के अनुरोध के बाद दिया गया. इसके पहले मालदीव से सिंगापुर के चांगी एय़रपोर्ट पहुंचने पर उन्हें दो हफ्ते का विजिट पास दिया गया था. उसके बाद राजपक्षे के विजिटिंग पास की अवधि दो हफ्तों के लिए और बढ़ा दी गई थी. इस अवधि के खत्म होने पर गोटाबाया राजपक्षे बीते सप्ताह ही थाईलैंड पहुंचे. इस कड़ी में थाईलैंड ने उन रिपोर्ट को कोरी अफवाह बताया, जिसमें कहा गया था श्रीलंका के भूतपूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने राजनीतिक शरण मांगी है. डेली मिरर ने थाईलैंड मंत्रालय के प्रवक्ता तानी संग्रत का बयान कोड करते हुए लिखा, 'गोटाबाया राजपक्षे के कूटनीतिक पासपोर्ट पर आने से थाईलैंड को कोई समस्या नहीं है. इसके बल पर वह थाईलैंड में 90 दिनों तक रह सकते हैं'.
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राजपक्षे को ही दुर्दशा का जिम्मेदार मान रही श्रीलंका की आवाम
गौरतलब है कि बीते महीने हिंसक प्रदर्शन से डर कर भागे गोटाबाया राजपक्षे के लिए थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया में दूसरा देश बना है, जहां उन्होंने अस्थायी शरण ली है. इसके पहले वह सबसे पहले मालदीव पहुंचे थे, जहां से सिंगापुर गए और एक महीने रहे. सिंगापुर में प्रवास के दौरान ही श्रीलंका संसद के स्पीकर महिंदा यपा अभयवर्द्धने ने 15 जुलाई को गोटाबाया राजपक्षे के आधिकारिक इस्तीफे की घोषणा की थी. गोटाबाया के इस्तीफे के बाद 21 जुलाई को रानिल विक्रमसिंघे को संसद में गुप्त मतदान के जरिये श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति चुना गया था. पुनः राष्ट्रपति पद संभालने से पहले विक्रमसिंघे गृह मंत्रालय संभाल रहे थे. ऐतिहासिक मंदी झेल रहे श्रीलंका में आवाम राजपक्षे परिवार के कथित भ्रष्टाचार और गलत नीतियों को ही ऐतिहासिक आर्थिक मंदी का जिम्मेदार मान रही है.
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