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भारत के बाद सऊदी अरब व UAE से डरा पाकिस्तान, मुस्लिम सम्मेलन से खुद को किया अलग

कई दिनों की ऊहापोह के बाद पाकिस्तान (Pakistan) ने मंगलवार को कहा कि वह मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में मुस्लिम सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा.

Updated on: 18 Dec 2019, 09:20 PM

नई दिल्‍ली:

कई दिनों की ऊहापोह के बाद पाकिस्तान ने मंगलवार को कहा कि वह मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में मुस्लिम सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा. पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से इसकी वजह यह बताई है कि सम्मेलन को लेकर कुछ मुद्दे हैं और वह नहीं चाहता कि मुस्लिम देशों में कोई मतभेद पैदा हो. लेकिन, पाकिस्तान से सम्मेलन से दूर रहने की वजह इसे लेकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की नाराजगी को माना जा रहा है.

यह दोनों देश इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं हैं. पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली को कम करने में इन देशों की मदद का हाथ रहता है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सऊदी अरब गए और वहां से लौटने के बाद ऐलान किया कि वह कुआलालंपुर नहीं जा रहे हैं. बाद में साफ हुआ कि पाकिस्तान से कोई नहीं जा रहा है.

सऊदी अरब और यूएई को इस बात का अंदेशा है कि कुआलालंपुर में बुधवार से शुरू हुआ मुस्लिम देशों का सम्मेलन सऊदी अरब स्थित आर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के समानांतर एक नया संगठन खड़ा करने का प्रयास है. इसमें सऊदी अरब और यूएई से अच्छे संबंध नहीं रखने वाले ईरान, कतर और एक हद तक तुर्की की भी खास भूमिका ने इन दोनों देशों को चौकन्ना कर दिया.

इनकी तरफ से पाकिस्तान पर दबाव डाला गया और इनकी आर्थिक मदद के तलबगार पाकिस्तान को इनकी बात माननी पड़ी. जबकि, इस सम्मेलन की रूपरेखा बनाने में इमरान खान, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप एर्दोगान और मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के साथ सबसे आगे रहे थे. इमरान ने महाथिर को फोन कर आने में असमर्थता जता दी.

इसका खुलासा खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने किया. इमरान खान की जगह उन्हें ही मलेशिया जाना था जो दौरा बाद में कैंसिल हो गया. कुरैशी ने कहा कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को कुआलालंपुर सम्मेलन को लेकर कुछ चिंताएं हैं. उन्हें आशंका है कि इससे मुस्लिमों के बीच विभाजन पैदा हो सकता है और यह ओआईसी के समानांतर खड़ा हो सकता है.

उन्होंने कहा कि इन बातों के मद्देनजर यह तय किया गया था कि पाकिस्तान पहले सऊदी अरब और मलेशिया के बीच के संबंधों को बेहतर करने का प्रयास करे और अगर ऐसा न हो सके तो फिर सम्मेलन में भाग न ले. उन्होंने कहा कि इमरान की सऊदी अरब की यात्रा इन दोनों देशों के बीच रिश्तों का पुल बनाने के लिए थी न कि सम्मेलन में भाग लेने की इजाजत लेने के लिए.