Myanmar Earthquake: म्यांमार में लगातार दूसरी बार महसूस किए गए भूकंप के झटके, इतनी रही तीव्रता
Myanmar Earthquake: म्यांमार में कुछ ही घंटों के भीतर लगातार दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, म्यांमार के यांगून में गुरुवार सुबह 4.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए.
highlights
- म्यांमार में लगातार दूसरी बार आया भूकंप
- 4.2 और 4.4 थी भूकंप की तीव्रता
- तीन घंटों के अंदर दो बार आए झटके
New Delhi:
Myanmar Earthquake: म्यांमार में कुछ ही घंटों के भीतर लगातार दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, म्यांमार के यांगून में गुरुवार सुबह 4.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे पहले भारतीय समयानुसार रात करीब 11 बजकर 57 मिनट पर भूकंप के झटके आए. जिनकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 4.4 मापी गई. इसके लगभग 3 घंटों के बाद रात 2 बजकर 52 मिनट में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए. इस भूकंप की गहराई जमीन के अंदर 10 किलोमीटर बताई गई. एनसीएस के मुताबिक, इस भूकंप का केंद्र क्रमश 15.40 अक्षांश और 96.19 देशांतर पर पाया गया. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने एक ट्वीट कर बताया कि गुरुवार रात दो बजकर 52 मिनट और 8 सेकंड र यांगून में 4.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया. हालांकि भूकंप के इन झटकों से अभी तक किसी भी तरह के जान या माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है.
क्यों आता है भूकंप
दरअसल, हमारी पृथ्वी 15 से 20 टेक्टॉनिक प्लेटों से बनी है. जिसमें मुख्य प्लेटों की संख्या 7 होती है. जिनमें अरबी प्लेट, कैरिबियन प्लेट, जोन दे फूका प्लेट, कोकोस प्लेट, नाजका प्लेट, फिलिपीन सागर प्लेट, स्कोश्या प्लेट शामिल हैं. ये प्लेटें पृथ्वी के स्थलमंडल के नीचे तरल पदार्थ लावा के रूप में कमजोर और नरम चट्टानों की परतें होती हैं. जो लगातार धीमी गति से तैरती रहती हैं. ज्यादातर भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने से आते है. उनके बीच में मौजूद गेप को फॉल्ट लाइन कहा जाता है. जैसे ही यह प्लेटें आपस में टकराती है उससे उनके कोने टूट जाते है और घर्षण की वजह से आपस में चिपक जाते है.
जिससे इन पर दबाव बनता है, वहीं फॉल्ट लाइन के आसपास संग्रहीत तनाव ऊर्जा जमा होती रहती है. जब यह दबाव ज्यादा हो जाता है तो और एक सीमित वेग को पार कर जाता है तो घर्षण बल कमजोर हो जाता है. जिससे चिपकी हुई प्लेटों के बीच अचानक हलचल होने लगती है और भ्रंश बनता है. भ्रंश के निर्माण के चलते पृथ्वी की सतह का विस्थापन होने लगता है. इससे तनाव ऊर्जा उत्पन्न होती है. यह ऊर्जा भूकंपीय तरंगों का कारण बनती है और जहां ये सब होता वहां भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं.
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