FATF के बैन के बावजूद चीन ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर कर्ज की मंजूरी दी
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बावजूद चीन ने पाकिस्तान को एक बिलियन डॉलर का कर्ज दिया है।
नई दिल्ली:
हाल ही में अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाले जाने के बावजूद चीन ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का कर्ज दिया है।
बता दें कि दक्षिण एशियाई देशों ने पाकिस्तान को आतंक फंडिंग वॉचडॉग की ग्रे लिस्ट में डाले जाने का समर्थन किया था।
एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकी फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। एफएटीएफ आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए प्रहरी के रूप में काम करता है।
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में डाले जाने का कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाना और आतंकी संगठनों से जुड़े तारों को हटाना है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे समय में चीन का दिया हुआ यह कर्ज पाकिस्तान के अंदर आतंक के हाथ में एक तोप जैसा होगा।
द डिप्लोमैट में एक लेख के अनुसार, एफएटीएफ का निर्णय इस्लामाबाद को जकड़ेगा लेकिन इसके खजाने को मुख्य रूप से प्रभावित नहीं करेगा।
गौरतलब है कि पाकिस्तान को इस लिस्ट में शामिल कराने में चीन और सऊदी अरब ने समर्थन नहीं दिया था। लेकिन एफएटीएफ की लिस्ट में शामिल होने के बाद अब पाकिस्तान की आड़ में छुपे कई देशों के लिए आतंकी समूहों के साथ लगाव आसान नहीं हो सकता।
भारत और अमेरिका की प्रतिक्रिया
एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को शामिल किए जाने के कदम का भारत ने भी स्वागत किया था और कहा था कि पाकिस्तान अपना वादा निभाने में असफल रहा है।
हाल ही में भारत दौरे पर आईं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निकी हेली ने कहा था कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित जगह बन रहा है।
उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान अमेरिका का साझेदार भी है, लेकिन पाकिस्तान की जमीन पर आतंकियों को पनाह देना उनके द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इससे पहले जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह आतंकियों को सुरक्षित जगह उपलब्ध करा रहा है।
क्या होगा पाकिस्तान का
माना जा रहा है कि एफएटीएफ की वॉचलिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका पहुंच सकता है। जिससे विदेशी निवेशों का पाकिस्तान में पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा।
इसके अलावा पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से कर्ज लेना भा मुश्किल हो सकता है।
क्या है एफएटीएफ
1989 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से बचाने के लिए दुनिया के 37 देशों ने मिलकर इसका गठन किया था।
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