पांच साल की बच्ची ने अपने बदहाल गांव के बयां किए हालात, सोशल मीडिया पर छाई
नर्सरी कक्षा की छात्रा हिफ्जा खान ने घर के पास की सड़कों की दुर्दशा को उजागर किया. वह कहती है कि वह ट्यूशन नहीं जा सकती और खराब सड़कों की वजह से मेहमान उसके घर नहीं आ सकते.
highlights
- बच्ची ने अपने गांव की खराब स्थिति को लेकर एक भावुक वीडियो तैयार किया
- यह वीडियो उनके गांव मजहामा की रेलवे कॉलोनी में बड़ा बदलाव लाने वाला है
- वीडियो को कई ट्विटर यूजर्स ने शेयर किया है और एक लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है
नई दिल्ली:
कश्मीर की एक पांच साल की बच्ची ने अपने गांव की खराब स्थिति को लेकर एक भावुक वीडियो तैयार किया है. ये वीडियो वायरल हो चुका है और ऐसा कहा जा रहा है इसके बाद क्षेत्र की बदहाल हालत में बदलाव आएगा. नर्सरी कक्षा की छात्रा हिफ्जा खान द्वारा भावुक कवरेज के लिए हजारों लोग उनकी तारीफ कर रहे हैं. लाल जैकेट पहने, वायरल वीडियो में लड़की अपने घर के पास की सड़कों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए हाथ में एक छोटा लैपल माइक लिए एक कीचड़ भरी सड़क पर खड़ी दिखाई दे रही है. वह कहती है कि वह ट्यूशन नहीं जा सकती और खराब सड़कों की वजह से मेहमान उसके घर नहीं आ सकते. उनकी कैमरा पर्सन उनकी मां थीं, जिन्हें उस वक्त इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनकी बेटी का यह वीडियो उनके गांव मजहामा की रेलवे कॉलोनी में बड़ा बदलाव लाने वाला है.
हिफ्जा ने कहा, 'हमारी सड़क बहुत खराब स्थिति में है इसलिए मैंने सोचा कि वीडियो बना लूं. मैंने वीडियो इसलिए बनाया क्योंकि मेहमान यहां नहीं आ सकते, अगर सड़क बनेगी तो मैं ट्यूशन और स्कूल जा सकती हूं. मेरे वीडियो से हमें फायदा होगा और मैं सरकार से हमारी सड़क बनाने की अपील करती हूं."
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हिजा ने पेशेवर तरीके से रिपोर्ट की और उनके मासूम शब्दों ने उस वीडियो को आकर्षक और लोकप्रिय बना दिया. उसकी मां ने इसे पारिवारिक व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किया, और उसके चचेरे भाइयों ने इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और एक घंटे के भीतर वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. लोग इस मासूम पत्रकार से प्यार करते हुए रीट्वीट करते दिखे. वीडियो को कई ट्विटर यूजर्स ने शेयर किया है और एक लाख से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
कुछ ने इस वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जम्मू कश्मीर के एलजी को टैग किया. हिफ्जा के दादा ने कहा कि हम एक दशक से अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी. ग्रामीणों ने कहा कि वे तत्कालीन मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, आरएंडबी विभाग के अधिकारियों के पास गए थे, लेकिन किसी ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन अब उन्हें उम्मीद है कि इस नन्ही परी की मासूम आवाज से उनकी बरसों से लंबित समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
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