EXCLUSIVE: चिदंबरम का केंद्र पर हमला, नोटबंदी पर कलाबाज़ी दिखा रही है सरकार
नोटबंदी पर घमासान के बीच पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला। न्यूज नेशन से खास बाततीच में उन्होंने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए।
नई दिल्ली:
नोटबंदी पर मचे घमासान के बीच पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला। न्यूज नेशन के साथ खास बातचीत में चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार सर्कस में मसखरी करने वाले जोकर से ज्यादा कलाबाजी दिखाने की कोशिश कर रही है। यही नहीं, चिदंबरम ने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा, 'अबकी बार, लंबी कतार'!
उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि सरकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की जिम्मेदारियों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। साथ ही चिदंबरम ने गुलाम नबी आजाद के संसद में बयान पर विवाद से लेकर सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले से जुड़े दूसरे तमाम मसलों पर भी अपनी बात रखी।
'गैरजरूरी बातों को मुद्दा बना रही है सरकार'
गुलाम नबी आजाद के संसद में बयान पर मचे विवाद पर चिदंबरम ने कहा कि बीजेपी गैरजरूरी बातों को मुद्दा बना रही है। असल मुद्दा ये है कि सरकार ने किस तरह देश को अव्यवस्था में डाल दिया है।
बिल गेट्स के समर्थन का क्या मतलब!
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार बिल गेट्स ने करेंसी बैन का समर्थन किया है। इस सवाल पर चिंदबरम ने कहा कि गेट्स बाजारों में नहीं जाते। वह कोई शिकायत नहीं करेंगे और न ही कोई और अरबपति ही करेगा।
मूडीज को महत्व क्यों
नोटबंदी पर रेटिंग एजेंसी मूडीज की ओर से आई प्रतिक्रिया पर भी पी चिंदबरम ने सरकार को घेरा। चिदंबरम ने कहा, 'हम रेटिंग एजेंसी को इतना महत्व क्यों देते हैं। मैं हमेशा पूछता रहूा हूं कि रेटिंग एजेंसी का मूल्यांकन कौन करेगा। मूडीज के रेटिंग पर हमें ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए।'
नोटबंदी के उद्देश्य का समर्थन लेकिन सरकार की तैयारी खराब
चिदंबरम ने कहा कि वे नोटबंदी के उद्देश्य का समर्थन करते हैं लेकिन जो तरीका अपनाया गया वह सही नही है। मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए चिदंबरम ने कहा, 'ये कैसी तैयारी है? सरकार जोकर से ज्यादा कलाबाजी दिखाने की कोशिश कर रही है। एक वित्त मंत्री के तौर पर मैं इस तरह इन चीजों को नहीं करता।'
RBI की जिम्मेदारियों को खत्म करने की हो रही है कोशिश
चिंदबरम ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, 'ऐसा लगता है कि इसमें कोई खेल है और पर्दे के पीछे से इसे डिजाइन किया जा रहा है। उम्मीद करता हूं आरबीआई और सरकार के बीच कोई गुप्त समझौता नहीं हुआ हो क्योंकि ऐसा होता है तो ये गलत है। यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण इसलिए भी होगा क्योंकि इस फैसले में आम लोगों का ख्याल नहीं रखा गया। जो स्थिति फिलहाल है, मुझे लगता है कि ऐसा कोई सौदा होने वाला है।'
200 परसेंट जुर्माने के फरमान पर चिंदबरम ने कहा कि कैश का लेनदेन पूरी तरह से कानूनी है। बकौल चिदंबरम, 'मुझे समझ नहीं आ रहा कि आयकर विभाग कैसे इस तरह जुर्माना लगा सकता है। ऐसे मामले बाद में कोर्ट में ही जाएंगे।' चिंदबरम ने कहा कि पुराने नोट को बिना कोई समस्या खड़ा हुए बिना बदला जाना चाहिए था जैसा कि दूसरे देशों में होता है।
राहुल गांधी के हाल के सरकार पर लगाए आरोपों पर चिदंबरम ने कहा कि कुछ सबूत जरूर सामने आए हैं। चिदंबरम के मुताबिक पश्चिम बंगाल (बीजेपी), गुजराती और हिंदी समाचार पत्रों में इसके बारे में रिपोर्ट छप चुके थे। बता दें कि राहुल गांधी ये आरोप लगाते आए हैं कि नोटबंदी का फैसला पहले ही लीक हो गया था।
चिदंबरम मे 2000 रुपयों के नए नोटों के जारी होने पर भी सवाल उठाए। चिदंबरम ने कहा कि अगर 500 और 1000 रुपये के नोट ऊंचे मुल्यों वाले हैं तो फिर 2000 रुपये का नोट क्या है। भ्रष्टाचार को खत्म करने का तरीका बैंक नोट बदलना नहीं है।
चिंदबरम ने माना कि अर्थव्यवस्था में कालाबाजारी मौजूद है और कालाधन भी है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि इससे निपटने का तरीका ये नहीं है कि आप लोगों को मुश्किल में डाल दें। आज लोगों के पास खाने-पीने की चीजें खरीदने का पैसा नहीं है।
'रघुराम राजन नोटबंदी के खिलाफ थे'
चिदंबरम ने कहा कि दावे के साथ वे यह कह सकते हैं कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन नोटबंदी के खिलाफ थे। साथ ही चिंदबरम ने कहा कि बतौर वित्त मंत्री उन्होंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (CBDT) की रिपोर्ट देखी थी। उस रिपोर्ट में कहा गया था कि नोटबंदी समस्या का हल नहीं है। सरकार को ये रिपोर्ट साझा करना चाहिए।
सरकार के फैसले से आम लोग परेशान
चिंदबरम ने कहा कि आज लोग मुश्किल झेल रहे हैं। चिंदबरम के मुताबिक, 'मुद्दा ये नहीं है कि फैसला लीक हुआ ये नहीं या इसकी जांच संयुक्त संसदीय सचिव (JPC) करें या नहीं। असल मुददा ये है कि इसने आम लोगों को परेशानी में डाल दिया है। आंकड़े दिखा रहे हैं कि औसतन 10 करोड़ लोग हमेशा एटीएम के पास खड़े हैं। 33 फीसदी लोगों के पास काम नहीं है। 15 करोड़ लोगों के पास खाना खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं।'
चिदंबरम ने कहा कि फैसले से पहले प्रमुख आर्थिक सलाहकार से भी राय नहीं ली गई। उन्हें भी घोषणा के बाद इस बारे में पता चला। साथ ही चिदंबरम ने कहा कि मौजूदा दौर में सवाल पूछने पर लोगों को देशविरोधी करार कर दिया जाता है।
क्या भारत आर्थिक आपाताकाल के दौर में है?
इस सवाल पर चिदंबरम ने कहा, 'संविधान की धारा-360 ऐसी परिस्थितियों के बारे में बात करती हैं। लेकिन वह ऐसे केस में लागू होता है या नहीं, यह देखना होगा। सरकार कहती है कि समस्या एक दिन या एक हफ्ते में खत्म हो जाएगी। लेकिन सरकार की बात मौसम समाचार के जैसी हो गई है। सरकार हर दिन अपना स्टैंड बदल रही है।'
वहीं, तेजी से नोट छापने की बात पर चिदंबरम ने कहा कि प्रिंटिग प्रेस की क्षमता एक महीनें में 300 करोड़ छापने की है। ऐसे में सभी नोटों की जगह पर नए नोट लाने में सात महीने लगेंगे।
'सर्जिकल स्ट्राइक' शब्द का इस्तेमाल कितना सही
चिदंबरम ने कहा कि जंग की शब्दावली को अर्थव्यवस्था के लिए इस्तेमाल करना गलत है। लोगों को इस तरह भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। पूर्व वित्त मंत्री ने खुद कैसे अपने नोट बदले, इस सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने किसी और को अपने नोट बदलवाने के लिए भेजा था।
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