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सपा बंट गई है, मुस्लिम अपना वोट बर्बाद न करें, पीएम मोदी ने जानबूझकर अपनी रैली में सपा की लड़ाई का जिक्र नहीं किया: मायावती

लखनऊ में मायावती की प्रेस कॉफ्रेंस

Updated on: 03 Jan 2017, 12:59 PM

नई दिल्ली:

बसपा सुप्रीमो मायावती लखनऊ में मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही हैं। नोटबंदी के बाद से मायावती लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रही हैं। इससे पहले मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लखनऊ के रमाबाई स्थल पर हुई परिवर्तन रैली को फ्लॉप बताया था।

नोटबंदी के बाद, मायावती ने केंद्र सरकार की नीतियों पर तीखे प्रहार किए हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि,'नोटबंदी से पहले कहां-कहां पर बीजेपी ने संपत्ति खरीदी, इसका हिसाब जनता को देना चाहिए। नोटबंदी से पहले बीजेपी ने अपना सारा कालाधन खपा दिया है। नोटबंदी के 50 दिन बाद भी लोगों को राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है।'

LIVE अपडेट, पढ़िए..क्या कह रही हैं मायावती

- बीएसपी ने सभी वर्ग के लोगों को टिकट दिया है: मायावती

- अपर कास्ट में ब्राह्मण को 66 टिकट, क्षत्रिय को 36 और वैश्य और अन्य को 11 टिकट दिया गया गया है

- इस चुनाव में हमारी पार्टी ने 97 मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया, पिछड़े और अनुसूचित वर्ग को 106, अपर कास्ट की विभिन्न जातियों को मिलाकर 113 टिकट दिए गए हैं। 87 टिकट दलित वर्ग को दिए गए हैं

- हमारी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों का चयन कर लिया है। चुनाव की तारीख सामने आने के बाद इन नामों को घोषित कर दिया जाएगा

- हमारी पार्टी ने अपने चारों शासनकाल में सभी वर्गों को ध्यान रखा और पार्टी में भी पूरा-पूरा सम्मान दिया

- दलित केवल प्रधानमंत्री मोदी की सहानुभूति नहीं चाहते। दलित अपने अधिकारों और खुद से जुड़े कानून को जमीनी स्तर पर लागू होते देखना चाहते हैं

- दलितों को इतना नासमझ नहीं समझना चाहिए कि केवल कुछ लोगों द्वारा बाबा भीमराव अंबेडकर के नाम क इस्तेमाल करने से, खाना खाने से कुछ नहीं होगा। बाबा साहब के अनुयायी इन बातों से प्रभावित नहीं होंगे 

- सपा परिवार में वर्चस्व की लड़ाई के बीच समाजवादी पार्टी बंट गई है। ऐसे में मुस्लिम अपना वोट दोनों धड़ो को देकर अपना मत बर्बाद न करें। इससे बीजेपी को फायदा होगा। इसलिए मोदी ने भी अपनी लखनऊ रैली में सपा की लड़ाई का जिक्र नहीं किया

- नोटबंदी के पीछे गोलमाल का अंदेशा, नोटबंदी से पूंजीपतियों को हुआ फायदा

- प्रधानमंत्री का जानबूझकर ये कहना कि बीएसपी अपना पैसा बचाने में जुटी है, लेकिन अंतर यह है कि बीएसपी यह चाहती है कि अपने कार्यकर्ताओं के खून-पैसे की कमाई के पैसे बर्बाद न हो सके। वहीं दूसरी तरफ मोदी और बीजेपी आम लोगों का खून चूसकर धन्नासेठों को सौंप रही है।

- बसपा यूपी चुनाव में पूरी जिम्मेदारी और जीत के लिए हिस्सा लेगी। प्रधानमंत्री को भी मालूम है कि बिना तैयारी के लिए नोटबंदी के फैसले के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट है। 

- जनता को अपने पैसे खर्च करने की जिम्मेदारी मिले

- केंद्र सरकार नोटबंदी के बाद बनाए अपने नियमों को ही रोज बदल रही है। प्रधानमंत्री मोदी को नोटबंदी के पचास दिन पूरा होने के साथ ही अपने वादे के मुताबिक यह बात पूरे देश को बता देनी चाहिए थी कि इससे क्या फायदा हुआ और कितनी मात्रा में कालाधन पकड़ा गया। कितना भ्रष्टाचार कम हुआ। लेकिन सरकार ने निराश किया

- गरीब को मकान दिलाने का वादा पूरा करे केंद्र सरकार, किसानों की कर्ज माफी की घोषणा करे केंद्र सरकार

- अच्छे दिन के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। राष्ट्र के नाम संबोधन पर मोदी ने जो घोषणाए की वह बस खानापूर्ति थी

- पीएम के संबोधन से सभी को निराशा हाथ लगी। लखनऊ में बीजेपी की रैली असफल रही। लोगों की भीड़ भी बहुत कम थी, किराये पर लोग लाए गए थे

- नए साल की पूर्व संध्या पर पीएम मोदी के संबोधन से बहुत उम्मीद थी। किसानों को लग रहा था कि कर्जमाफी पर बड़ा एलान करेंगे। साथ ही गरीब यह मान कर चल रहे थे कि उनके अकाउंट में अब 15 से 20 लाख रुपये आ जाएंगे। 

- केंद्र ने नोटबंदी के नाम पर लोगों को गुमराह किया, नोटबंदी अपरिपक्व फैसला है

- दुआ करती हूं कि नए साल में भाजपा और पीएम मोदी को सद्बुद्धि आए

- गरीब विरोधी है केंद्र की नीतियां: मायावती

- ईमानदार लोगों के लिए नोटबंदी अभिशाप बन नई है