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"मैं वापस आऊंगा..." मजदूरों के फौलादी इरादों से गूंज उठा पूरा भारत! 375 शब्दों में पढ़िए साहस भरी दास्तां...

17 दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे इन मजदूरों की हिम्मत अभी भी दृढ़ है. वे अपने फौलादी इरादों का प्रमाण देते हुए दोबारा काम पर लौटने की बात कह रहे हैं. अभी हाल ही में एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा हुआ है.

Updated on: 30 Nov 2023, 02:02 PM

नई दिल्ली:

400 घंटों का वो मुश्किल वक्त गुजर गया... 17 दिन बाद आखिरकार सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को रिहाई मिल ही गई. जहां इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में धैर्य सबसे महत्वपूर्ण मंत्र रहा... वहीं 17 दिनों की जमीनी कैद ने मजदूरों के इत्मिनान को मजबूती दी. उनका हौसला और रेस्क्यू टीम की घंटों की मशक्कत ने आखिरकार चट्टान को चीरते हुए उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया. मगर इस सहासी कहानी का अंत यहीं नहीं होता, बल्कि अब तो असल जाबाजी से भरी असल दास्तां की शुरुआत होनी है...

दरअसल 17 दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे इन मजदूरों की हिम्मत अभी भी दृढ़ है. वे अपने फौलादी इरादों का प्रमाण देते हुए दोबारा काम पर लौटने की बात कह रहे हैं. अभी हाल ही में एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा हुआ है. दरअसल फोरमैन गब्बर सिंह नेगी, जो सुरंग में फंसे उन तमाम मजदूरों में सबसे सीनियर थे, उनसे सवाल किया गया कि क्या वो अब नौकरी के अन्य विकल्पों पर विचार करेंग?

हम जल्दी काम पर लौटेंगे...

तो उन्होंने सहास से भरपूर जवाब दिया कि, उनपर परिवार की जिम्मेदारी है. वो ये काम सालों से कर रहे थे, लिहाजा वो इसे नहीं छोड़ सकते. हालांकि ये हादसा काफी गंभीर था, मगर इससे उनकी हिम्मत नहीं टूटी है, वे जल्दी वापस काम पर लौटेंगे. वहीं एक अन्य मजदूर सबा अहमद का कहना है कि, इस हादसे से उनका संकल्प को और मजबूती मिली है, लिहाजा अब वो काम पूरा करके ही लौटेंगे.

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गौरतलब है कि, 17 दिनों तक लगातार उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में कैद 41 मजदूरों को उत्तराखंड राज्य की ओर से एक-एक लाख दिए गए हैं. वहीं एनएचएआई, जिसके अंतर्गत इस सुरंग निर्माण का कार्य जारी था उनसे अनुरोध किया है कि, मजदूरों को कुछ दिन की छुट्टी वेतन के साथ दी जाए, ताकि सभी मजदूरों आराम से अपने-अपने घर लौट सकें. 

वहीं डॉक्टरों की एक टीम द्वारा मजदूरों का चेकअप कर लिया गया है. सभी मजदूर स्वस्थ्य स्थिति में हैं. खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने कॉल कर इन मजदूरों का हालचाल जाना है. साथ ही उन्हें हर संभव सहायता का विश्वास दिलाया है. 

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