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'मैं मरना नहीं जीना चाहती हूं, आरोपियों को छोड़ना मत, उन्हें सजा दिलाना', उन्नाव की बेटी के आख़िरी शब्द

Unnao Case : उन्‍नाव की बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. वो हम सबको छोड़कर चली गई. वह जाना नहीं चाहती थी, लेकिन कुछ दुर्दांत लोगों ने उसे मौत के मुंह में धकेल दिया. उसके जीने की चाह को 'आग' लगा दी.

Updated on: 07 Dec 2019, 09:43 AM

नई दिल्‍ली:

Unnao Case : उन्‍नाव की बेटी अब इस दुनिया में नहीं रही. वो हम सबको छोड़कर चली गई. वह जाना नहीं चाहती थी, लेकिन कुछ दुर्दांत लोगों ने उसे मौत के मुंह में धकेल दिया. उसके जीने की चाह को 'आग' लगा दी. पहले रेप कर उसकी 'आत्‍मा को मारा' और फिर जब जमानत पर छूटकर आए तो जिंदा जला दिया. करीब 72 घंटे की असह्य पीड़ा के बावजूद वह जीना चाहती थी. वह न्‍याय चाहती थी, लेकिन अब उसकी आस जमाने वालों की जिम्‍मेदारी बन गई है. उसे न्‍याय देना ही होगा, आरोपियों को सजा देनी ही होगी. जाते-जाते वह कहती रही- 'मैं मरना नहीं चाहती. मैं जीना चाहती हूं, आरोपियों को छोड़ना मत, उन्हें सजा जरूर दिलाना.'

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उधर, दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्‍यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने केंद्र और उत्‍तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि एक माह में ही आरोपियों को फांसी पर लटकाया जाए. रेप पीड़िताओं के लिए त्‍वरित न्‍याय की मांग को लेकर राजघाट (Rajghat) स्‍थित समता स्‍थल (Samta Sthal) पर अनशन पर बैठीं स्‍वाति मालीवाल ने कहा, मैं उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि उन्नाव रेप मामले में बलात्कारियों को एक महीने के भीतर फांसी दी जाए.

स्‍वाति मालीवाल ने न्‍यूज नेशन से बातचीत करते हुए कहा, बहादुर लड़की जलने के बाद भी एंबुलेंस को फोन करती है. अपने भाई से कहती है कि मुझे बचा लो. वह चाहती है कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले. वह जिंदगी के लिए लड़ती है. उसके साहस को शत-शत नमन.

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स्‍वाति मालीवाल ने कहा, मैं अपील करना चाहती हूं कि जो पुलिस हमारे नेताओं की, उनके परिवारों की, वीवीआईपी की सुरक्षा में व्‍यस्‍त है, उसे देश की बेटियों की सुरक्षा में लगाई जानी चाहिए. तभी उन्‍हें समझ में आएगा कि असुरक्षित होना क्‍या होता है.

उन्‍होंने सरकार से अपील करते हुए कहा, एक महीने में उन्‍नाव की बेटी के कातिलों को फांसी के फंदे पर चढ़ा देना चाहिए. मालीवाल ने यह भी कहा, मुझे राजस्‍थान, हैदराबाद और उन्‍नाव की बहनों से शक्‍ति और साहस मिलती है. आज मेरे अनशन का पांचवां दिन है. शरीर थक गया है पर मैं गीता पर विश्‍वास करती हूं. कर्म पर विश्‍वास करती हूं. मैं भी मरने के लिए तैयार हूं, लेकिन आमरण अनशन नहीं छोड़ूंगी.