चुनाव ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले कर्मियों के परिजनों को मिले एक-एक करोड़ मुआवजा- इलाहाबाद हाईकोर्ट
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के दौरान ड्यूटी करने वाले शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों की मौतों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार करने को कहा है.
प्रयागराज:
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों के दौरान ड्यूटी करने वाले शिक्षकों और दूसरे कर्मचारियों की मौतों के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मुआवजा राशि बढ़ाने पर विचार करने को कहा है. हाईकोर्ट ने यूपी सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को मुआवजे की रकम 30 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ करने पर विचार करने का निर्देश दिया है. अदालत का मानना है कि शिक्षकों और कर्मचारियों ने सरकारी दबाव में चुनाव ड्यूटी की थी. इस मसले पर जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई. अदालत कोरोना से जुड़े मामलों में 17 मई को फिर से सुनवाई करेगी.
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उधर, एक दूसरे मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग, राज्य सरकारों पर तीखे हमले करते हुए कहा कि कुछ राज्यों में चुनाव और उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों की अनुमति देते हुए वे इसके विनाशकारी परिणामों का अनुमान लगाने में विफल रहे. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की सिंगल पीठ ने सोमवार को गाजियाबाद स्थित एक बिल्डर को विशेष आधार पर गिरफ्तारी से बचने के लिए सुरक्षा प्रदान करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं. बिल्डर के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक कथित संपत्ति कब्जे वाले डिफॉल्ट पर मामला दर्ज किया गया था.
18 पेज की अग्रिम जमानत आदेश में अदालत ने कहा कि राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव के साथ, कोविड अब उत्तर प्रदेश के गांवों में कैसे पहुंच गए हैं. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा, 'राज्य सरकार को शहरी क्षेत्रों में कोरोनावायरस के प्रसार को नियंत्रित करने में कठिन हो रहा है और बीमारी से पीड़ित पाए गए गांव की आबादी का टेस्ट, पता लगाना और उसका इलाज करना बहुत मुश्किल होगा. राज्य में तैयारी और संसाधनों की कमी है.'
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अदालत ने यह भी कहा कि यूपी पंचायत चुनावों ने कोविड की वृद्धि में योगदान दिया. अदालत ने आगे कहा, 'राज्य में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों के कारण, गांवों में बड़ी संख्या में एफआईआर दर्ज की गई हैं. फिर भी, गांव में अपराध दर राज्य में काफी अधिक है. पंचायत चुनाव के बाद गांवों की स्थिति, बड़ी संख्या में आरोपी व्यक्ति संक्रमित हो सकते हैं और उनके संक्रमण का पता नहीं चल सका है.'
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