हैदराबाद के अस्पताल से मिली सबसे कम उम्र के कोरोना मरीज को छुट्टी
जन्म के आठवें दिन बच्चे के ऑक्सीजन लेवल में गिरावट देखी गई, जिससे बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही थी. यह परेशानी इतनी थी कि बच्चे को वेटिलेंटर में रखना पड़ा.
highlights
- एक महीने का कोरोना पॉजिटिव मासूम अब पूरी तरह से ठीक होने के बाद अपने घर लौट गया
- वक्त से पहले ही बच्चे की पैदाइश हुई इस बच्चे के ऑक्सीजन लेवल में गिरावट देखी गई थी
हैदराबाद :
पिछले महीने जन्म लेने के एक हफ्ते बाद कोरोना पॉजिटिव पाया गया मासूम अब पूरी तरह से ठीक होने के बाद यहां के एक निजी अस्पताल से अपने घर लौट गया है. सबसे कम उम्र का कोविड सर्वाइवर कहा जा रहा यह मासूस पिछले हफ्ते ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुआ है. केआईएमएस कडल्स के डॉक्टरों ने रविवार को इसकी जानकारी दी. 17 अप्रैल को वक्त से पहले ही बच्चे की पैदाइश हुई थी क्योंकि कोरोना से गंभीर रूप से बीमार होने के चलते उसकी मां को मैकेनिकल वेंटिलेटरी सपोर्ट की जरूरत थी. पैदा होने के बाद बच्चे का वजन महज 1,000 ग्राम था और समय से पहले पैदा होने के चलते बच्चे को सांस लेने में कुछ तकलीफें आ रही थीं, जिसका इलाज किया गया. बच्चे की कोरोना रिपोर्ट पहले नेगेटिव आई थी. जन्म के आठवें दिन बच्चे के ऑक्सीजन लेवल में गिरावट देखी गई, जिससे बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही थी. यह परेशानी इतनी थी कि बच्चे को वेटिलेंटर में रखना पड़ा. दूसरी दफा जब पीसीआर टेस्ट का नतीजा आया, तो उसमें बच्चा कोविड पॉजिटिव पाया गया. उस वक्त बच्चे का वजन महज 920 ग्राम था. डॉक्टरों की टीम ने फिर से वेंटिलेटर से कोविड आइसोलेशन आईसीयू में शिफ्ट किया.
किम्स कडल्स में नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स की सीनियर कंसल्टेंट डॉ सी.अपर्णा, नैदानिक निदेशक ने कहा, "बच्चे की नवजातों के लिए बने एक विशेष आइसोलेशन वाले आईसीयू में डॉक्टरों की टीम और हमारी नर्सों द्वारा देखरेख की गई, उसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया, अंत:शिरा एंटीबायोटिक्स दी गई, पोषण दिया गया. मल्टी पैरा मॉनिटर के साथ नवजात की निगरानी की गई, जिसमें रक्तचाप, ऑक्सीजन सैचुरेशन जैसी चीजें शामिल रहीं. जैसे उसके जीवन का वास्तविक समय प्रदर्शन दिखाया गया. पहले बच्चे को नाक के सहारे वेंटिलेशन पर रखा गया और फिर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव पर उसे शिफ्ट किया गया. बच्चे की स्थिति को स्टेरॉयड और उचित देखभाल के माध्यम से ठीक रखा गया." बच्चे का पिता राहुल पेशे से एक मेडिकल कोडर हैं और मां का नाम बाला मोनिका हैं. इन्हें वीडियो कॉल के जरिए बच्चे के क्लिनिकल कंडीशन के बारे में हमेशा अवगत कराया जाता रहा. बच्चे की मां के पास से एक्सप्रेस्ड ब्रेस्ट मिल्क ले जाकर भी बच्चे को पिलाया गया क्योंकि यह नवजात के लिए सर्वोत्तम है.
क्लिनिकल रिकवरी और एक अन्य पीसीआर टेस्ट के बाद बच्चे को आइसोलेशन से बाहर एक रेडिएंट वॉर्म रूम में शिफ्ट कराया गया और उसे मां का दूध, खास देभाल, कंगारू केयर, थर्मल सपोर्ट जैसी कई सुविधाएं मुहैया कराई गई. बच्चे के वजन में करीब 15-20 ग्राम तक की वृद्धि देखी गई और अब ट्यूब के बदले उसे मुंह के सहारे खाना दिया जाने लगा. अस्पताल में इस तरह से 30 दिनों तक देखभाल किए जाने के बाद बच्चे में काफी सुधार दिखने लगा और 17 मई को उसका वजन 1,500 ग्राम मापा गया. कीम्स कडल्स में अब तक 35 मांओं ने कोविड के साथ अपने बच्चे का जन्म दिया है, जिनमें से केवल दो ही बच्चों को कोविड पॉजिटिव पाया गया था.
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