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राजस्थान: भीषण गर्मी से गहराया पेयजल संकट, बनेगा नया कानून

जलदाय विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं गर्मियों में इंतजाम करने के लिए बीसलपुर से खोनागोरियन क्षेत्र को जोड़ा जाएगा. वित्तीय स्वीकृति जारी हो गई है जिसके बाद टेंडर की प्रक्रिया जारी है

Updated on: 03 Jul 2019, 03:16 PM

नई दिल्ली:

राजस्थान में जैसे-जैसे गर्मी का कहर बरपा रही है, जलसंकट भी बढ़ता जा रहा है. दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं, जयपुर में भी लगभग एक दर्जन इलाकों में पेयजल संकट मंडरा रहा है. डार्कजोन के कारण कई इलाकों में पेयजल का टैंकर से पानी सप्लाई ही एकमात्र माध्यम है , मगर टैंकर भी पर्याप्त पानी सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. पालड़ी मीणा, खोनागोरियन क्षेत्रों में तो 3-4 दिन में एक बार टैंकर आ रहा है,जिसके कारण लोगों का हाल बेहाल है.

बात करें जयपुर की कई क्षेत्रों में टैंकर से पानी सप्लाई हो रहा है. 2 हजार से अधिक जलदाय विभाग, टैंकर सप्लाई कर रहा है. करोड़ो का ठेका टैंकर सप्लाई का है, मगर फिर भी टैंकर से सप्लाई होने वाले इलाकों में पानी पर्याप्त नहीं पहुंच रहा है. वहीं जलदाय विभाग के अधिकारी दावा कर रहे हैं गर्मियों में इंतजाम करने के लिए बीसलपुर से खोनागोरियन क्षेत्र को जोड़ा जाएगा. वित्तीय स्वीकृति जारी हो गई है जिसके बाद टेंडर की प्रक्रिया जारी है.

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जयपुर की पानी सप्लाई पर नजर

वहीं अगर जयपुर में पेयजल सप्लाई पर नजर दें तो पता चलेगा कि जयपुर की जनसंख्या लगभग 40 लाख है, जहां पानी की मांग 5970 लाख लीटर है. मगर बीसलपुर से पानी की सप्लाई केवल 4360 लाख लीटर ही है. जबकि बाकी सप्लाई 289 टैंकरों से होती है जो दिन में 1910 फेरे लगाते हैं.  इसके अलावा पाइप लाइन से सप्पलाई 34 लाख लीटर होती है, वहीं नलकूप से 2168, हैडपम्प-1852, सिंघल फेज ट्यूबेल-329 और सार्वजनिक नल से1170 लीटर पानी की सप्लाई होती है. जलदाय विभाग भले ही लाख दावे करे मगर जमीनी तस्वीर दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.अगर समय रहते पेयजल संकट को नही सुलझाया तो हालात बहुत विकट हो जाएंगे.

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वहीं पेयजल संकट के लिए महज बारिश कम होना ही नहीं है, बल्कि पानी की बर्बादी एक बड़ी वजह है.इस तस्वीर को बदलने के लिए राजस्थान सरकार नया कानून लाने की तैयारी में है. देश में जलसंकट के बीच राजस्थान में सतही और भूजल को बचाने के लिए नया कानून लागू होगा,राजस्थान वाटर कंजर्वेशन प्रोटेक्शन एंड रेगुलेशन एक्ट. राज्य सरकार इसे अंतिम रूप देने में जुटी है.यह एक्ट लागू होने पर जल संरक्षण,इरिगेशन ड्रेनेज सहित पहले प्रभावी अन्य 4 एक्ट खत्म हो जाएंगे. सतही व भूजल दोनो एक एक्ट के दायरे में आ जाएंगे. नए एक्ट में बनने वाली निगरानी समिति पेयजल का पुनः उपयोग तय कराएगी. यानी बड़े स्तर पर पानी परिशोधन अनिवार्य हो जाएगा. ऐसा नही करना या पानी का दुरुपयोग करने पर पेनल्टी और सजा का प्रावधान होगा.