logo-image
लोकसभा चुनाव

मध्य प्रदेश की सत्ता में आए बदलाव से वरिष्ठ आईएएस मोहंती को केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण का झटका

मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे चल रहे वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एस.आर. मोहंती के लिए केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण (केट) से बड़ा झटका लगा है.

Updated on: 25 Dec 2018, 12:59 PM

नई दिल्ली:

मध्य प्रदेश में सत्ता में आए बदलाव के साथ सरकारी निजामों के बदलने का दौर जारी है. जिसके चलते मुख्य सचिव भी नया बनाया जाना है. मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे चल रहे वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एस.आर. मोहंती के लिए केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण (केट) से बड़ा झटका लगा है. राज्य के उद्योग विकास निगम में हुई गफलत का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आने लगा है. मामला वर्ष 2000 से 2004 के बीच है, जब आईएएस एस आर मेाहंती प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डायरेक्टर) हुआ करते थे. इस दौरान आर्थिक अनियमितताओं के चलते आर्थिक अन्वेषण विंग (एकनॉमिक अदेंस विंग) ने 24 जुलाई 2004 को मोहंती सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था.

इस एफआईआर को जबलपुर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था. यह मामला लेकर सरकार सर्वोच्च न्यायालय गई. इसी बीच मोहंती की ओर केट की जबलपुर शाखा में अपील की. यह मामला प्रमुख बेंच (प्रिंसिपल बेंच) केट के पास पहुंचा और उसने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए मोहंती के आवदेन का खारिज करते हुए छह माह में अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए है.

यह भी पढ़ें- सिविल सेवाओं की परीक्षा की आयुसीमा में बदलाव पर बोले PMO के राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह

केट की प्रमुख बेंच के चेयरमैन एल. नरसिंहा रेड्डी और सदस्य प्रदीप कुमार द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है- 'हमें दिनांक 12 जनवरी 2004 या 22 फरवरी 2010 के प्रभारी ज्ञापन में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला. इस मामले में पहले ही लगभग एक दशक की देरी हो चुकी है, और यह किसी भी देरी का कारण नहीं बन सकता है. यह आवेदक के हित में भी है कि यदि वह निर्दोष के रूप में उभरता है, तो पदोन्नति और ऊपर की ओर बढ़ने के उसके रास्ते प्रतिकूल रूप से प्रभावित नहीं होते हैं. हम इस तथ्य पर भी ध्यान देते हैं कि आपराधिक कार्यवाही को अंतिम रूप देना बाकी है, इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया बढ़ाई जाए.'

सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए कहा गया है-"पल एंथोनी बनाम भारत गोल्ड माइंस लिमिटेड ((1999) 3 एससीसी 679), जिसमें यह कहा गया था कि यदि आपराािक कार्यवाही के निष्कर्ष के लिए अािक समय लगने की संभावना है, तो अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखी जा सकती है." मोहंती जिस दौर में उद्योग विकास निगम के प्रबंध निदेशक थे उस दौर में कई कंपनियों को पूर्व अनुमति के बगैर सैकड़ों करोड़ का कर्ज दिए जाने का आरोप है. यही मामला आगे चलकर उनके लिए मुसीबत बन गया है. यह कर्ज भास्कर इंडस्टीज, एन बी इंडस्टीज, जी के एक्सिम,सोम डिस्टिलरी, सूर्या एग्रो आइल और वेस्टर्न टुबेको लिमिटेड को देने का आरोप है.

आदेश में कहा गया है कि ओए (ऑरीजनल एप्लीकेशन) को खारिज करते हैं, और अनुशासनात्मक प्राधिकारी को अनुशासनात्मक कार्यवाही को तेज करने का निर्देश देते हैं, और इस आदेश की प्राप्ति की तारीख से छह महीने की अवधि के भीतर उनका निष्कर्ष निकालते हैं. लागत के रूप में कोई आदेश नहीं किया जाएगा. केट के इस फैसले ने मोहंती की मुसीबतें बढ़ा दी है, क्योंकि वे राज्य के मुख्य सचिव की दौड़ में सबसे आगे हैं. केट के फैसले में सीधे तौर पर अनुशासनात्मक कार्यवाही जारी रखने की बात कही गई है. अब देखना होगा कि सरकार उनके खिलाफ केट के आए आदेश का तोड़ कैसे खोजती है.