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साहिबगंज में बिजली की आंख मिचौली से ग्रामीण परेशान, दिखने लगा है आक्रोश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में आने वाले साहिबगंज में सरकारी योजनाओं पर विभाग और अधिकारी जमकर पलीता लगा रहे हैं.

Updated on: 18 Jul 2023, 03:59 PM

highlights

  • बिजली की आंख मिचोली से ग्रामीण परेशान
  • दम तोड़ रही राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना
  • ग्रामीणों को मिल रही 2-3 घंटे बिजली
  • ग्रामीणों का बिजली विभाग के खिलाफ आक्रोश

Sahibganj:

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में आने वाले साहिबगंज में सरकारी योजनाओं पर विभाग और अधिकारी जमकर पलीता लगा रहे हैं. बिजली की आंख मिचोली अब जिले के ग्रामीण इलाकों के लिए मानो गले का फांस बनती जा रही है. यहां राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है. सरकार योजनाओं की घोषणा करती है. करोड़ों रुपए खर्च हो जाते हैं, लेकिन जनता की हालत जस के तस रहती है और इसका पूरा श्रेय जाता है प्रशासन में बैठे अधिकारियों को. जो खुद तो एसी वाले कमरे और गाड़ियों में घूमते हैं, लेकिन जनता को अंधेरे में रहने पर मजबूर कर देते हैं. साहिबगंज में कुछ ऐसा ही हो रहा है जहां जिले में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना महज कागजों और सरकारी फाइलों में चल रही है.

दम तोड़ रही राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना

साहिबगंज जिला मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधानसभा क्षेत्र में आता है. बावजूद यहां योजनाओं का संचालन भगवान भरोसे होता है. जिले में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है. योजना की शुरूआत की गई थी ताकि ग्रामीण इलाकों को भी रौशन किया जा सके, लेकिन लगता है जिले के ग्रामीणों की तकदीर में अंधेरा ही लिखा है. कई साल बीत गए, लेकिन आज तक कई गावों में बिजली नहीं पहुंच पाई है.

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ग्रामीणों को मिल रही 2-3 घंटे बिजली

बिजली की चरमराती व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार ने इस योजना की शुरूआत की थी. 2008-2009 के बीच जिले के तालझारी प्रखंड क्षेत्र के केंदुआ, शाह राजढाब, बोरियो, बरहेट और पतना प्रखंड क्षेत्र के कई गांवों में बिजली के खंभे और तार भी लगाए गए, लेकिन तब का दिन है और आज का दिन. कंभे जर्जर हो चुके हैं. तार टूट चुके हैं, लेकिन लोगों के घरों तक ठीक से बिजली नहीं पहुंच पाई. आलम ये है कि 24 घंटे में लोगों को बामुश्किल 2-3 घंटे बिजली मिल रही है.

ग्रामीणों का बिजली विभाग के खिलाफ आक्रोश

बिजली की आंख मिचोली से ग्रामीणों में आक्रोश है. क्योंकि बिजली ना आने से ना सिर्फ पढ़ाई और दूसरे काम प्रभावित हो रहे हैं बल्कि पानी का सप्लाई भी नहीं हो पा रहा है. यानी बिजली विभाग की अनदेखी लोगों के लिए गले का फांस बनती जा रही है. आक्रोशित ग्रामीण जल्द से जल्द अधिकारियों से व्यवस्था दुरुस्त कराए जाने की मांग कर रहे हैं. बिजली की समस्या सिर्फ साहिबगंज में नहीं है. झारखंड के ज्यादातर जिलों के ग्रामीण इलाकों में हालात यही है. जहां लोगों को ना तो बिजली मिल पाती है और ना ही कोई बुनियादी सुविधाएं. ऐसे में सवाल उठता है कि अगर लोगों की मूलभूत जरूरतें ही पूरी नहीं होंगी तो विकास की बातें बेइमानी साबित होंगी.

रिपोर्ट : गोविंद ठाकुर