साहिबगंज में आदिवासी बेटियां हो रही हैं हैवानियत का शिकार, कब जगेगी सरकार?
साहिबगंज जिले में आदिवासी समाज की बेटियां कब तक हैवानियत का शिकार होती रहेगी. इन घटनाओं को देखने के बाद भी हेमंत सरकार चुप क्यों है.
highlights
- साहिबगंज में आदिवासी बेटियां नहीं है सुरक्षित
- फिर एक बार बेटी हुई हैवानियत का शिकार
- कब जगेगी हेमंत सरकार?
Sahibganj:
साहिबगंज जिले में आदिवासी समाज की बेटियां कब तक हैवानियत का शिकार होती रहेगी. इन घटनाओं को देखने के बाद भी हेमंत सरकार चुप क्यों है. एक बार फिर साहिबगंज से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. साहिबगंज के राजमहल में आखिर ऐसा क्या हुआ कि रिंकी कर्मकार की लाश फंदे से झूलती हुई उसके घर पर ही मिला? इस घटना ने तो राजमहल थाना प्रभारी और साहिबगंज एसपी को कटघड़े में लाकर खड़ा कर दिया है. जिसमें भी इस खौफनाक मंजर व तस्वीर को देखा या सुना, उसके होश ठिकाने आ गए. इस घटना ने तो साफ कर दिया कि कैसे साहिबगंज पुलिस की लाहपरवाही की वजह से रिंकी को अपनी जान गंवानी पड़ी? आखिर समय रहते ही शायद सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ऐसे लाहपरवाह पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं की तो शायद प्रदेश की हर बेटी के साथ इसी तरह की घटना घटित होगी. उससे पहले इस खबर को समझाने के लिए पहले आप न्यूज़ स्टेट बिहार झार खंड पर पहले यह स्पेशल रिपोर्ट पढ़िए.
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आदिवासी बेटी हुई हैवानियत का शिकार
साहिबगंज जिले के राजमहल थाना क्षेत्र से एक बार फिर दिल को कचोड़ने वाली हैवानियत की तस्वीर सामने आई है. आपको बता दें कि बीते संध्या रात्रि को एक लड़की की संदेहात्मक स्थिति में मौत हो गई है, जहां मासूम लड़की का शव उनके ही घर में फंदे से झूलता हुआ मिला है. वहीं, जैसे ही घटना की सूचना राजमहल थाना पुलिस को मिली तो पुलिस ने तुरंत लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. आगे घटना के संबंध में बताया जा रहा है कि मृतक रिंकी कर्मकार के द्वारा पूर्व में ही राजमहल थाना को एक लिखित आवेदन दी गई थी. जहां उसके साथ हुए अत्याचार व हैवानियत को लेकर पुलिस की दरवाजे पर न्याय की गुहार लगाई गई थी.
पीड़िता ने लगाई थी न्याय की गुहार
वहीं, जब पीड़िता को राजमहल थाने से न्याय नहीं मिला, तो उन्होंने पुनः न्याय नहीं मिलने के संदर्भ में उक्त लड़की के द्वारा जिले के पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर राजमहल थाना के द्वारा कार्रवाई नहीं करने और अपने आप पर हुए अत्याचार व यौन शोषण जैसे हैवानियत को लेकर पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा से न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन पीड़ित आदिवासी लड़की को पुलिस प्रशासन से किसी प्रकार का कोई न्याय नहीं मिला. रिंकी की लाश बीते बुधवार की रात्रि को फंदे से झूलता हुआ मिला.
अभी तक नहीं सुलझ पाई है मर्डर मिस्ट्री
घटना ने तो साहिबगंज पुलिस की लाहपरवाही की करतूत को कठघड़े में खड़ा कर दिया है क्योंकि मरने से पहले पीड़ित आदिवासी लड़की द्वारा राजमहल थाना प्रभारी के साथ-साथ जिले के जिम्मेदार पुलिस अधीक्षक अनुरंजन किस्पोट्टा को भी आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई थी, लेकिन अब वह इस दुनिया में नहीं है. इसका जिम्मेदार कौन, आखिर ऐसे लाहपरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों पर करवाई कब?
हालांकि घटना के बाद पुलिस शुरुआती जांच में यह पता लगाने में जुट गई है कि यह हत्या है या फिर आत्महत्या, लेकिन यह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा. साथ ही साथ इस घटना में तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जिले के जिम्मेदार पुलिस प्रशासन के द्वारा आवश्यक कदम नहीं उठाने की वजह से आज लड़की को जान गंवानी पड़ गई.
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