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बोकारो के ये दो इंजीनियर, बच्चों को सीखा रहे हैं फराटेदार इंग्लिश

सरकारी स्कूल के बच्चे भी अब निजी विद्यालय के बच्चों की तरह फराटेदार अंग्रेजी बोलने का काम करेंगे.

Updated on: 05 Oct 2023, 02:30 PM

highlights

  • सरकारी स्कूल के बच्चे बोलते हैं फराटेदार इंग्लिश
  • छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं
  • स्कूल, घर और प्रदेश का नाम कर सकेंगे रोशन 

Bokaro:

सरकारी स्कूल के बच्चे भी अब निजी विद्यालय के बच्चों की तरह फराटेदार अंग्रेजी बोलने का काम करेंगे. इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन बोकारो के रहने वाले युवक इस पर जरूर छात्रों का मनोबल बढ़ा कर उन्हें अंग्रेजी का ज्ञान देने का काम कर रहे हैं. बोकारो के सेक्टर 2 ए स्थित राजकीयकृत उच्च विद्यालय लकड़ा खंदा में बोकारो के रहने वाले दो इंजीनियर पिछले तीन महीने से वहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी पढ़ने का काम कर रहे हैं. दोनों इंजीनियर बोकारो के रहने वाले हैं और अभी वर्क फॉर्म होम में बोकारो से अपनी सेवा कंपनी को दे रहे हैं. हफ्ते में एक दिन दोनों इंजीनियर स्कूल पहुंचते हैं और छात्राओं को बेसिक अंग्रेजी की जानकारी दे रहे हैं.

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सरकारी स्कूल के बच्चे बोलते हैं फराटेदार इंग्लिश

सबसे पहले उनको उन लोगों ने रखने का काम किया. उसके बाद उन छात्राओं के मन से झिझक को खत्म करने का काम किया. उसके बाद इन लोगों को इंग्लिश बोलने की सीख दे रहे हैं. छात्राएं भी इनके विद्यालय में आकर जानकारी देने से काफी खुश है. छात्राओं का कहना है कि पहले हम लोगों को अंग्रेजी का उतना ज्ञान नहीं था, लेकिन जब से यह लोग यहां आए हैं, तब से उनमें काफी जिज्ञासा भी बढ़ी है और वह बोल और समझ भी पा रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने आ रहे चंदन कुमार कंसल्टेंसी कंपनी पीडब्लूसी और प्रशांत कुमार आईबीएम में कार्यरत हैं. 

छात्रों में प्रतिभा की कमी नहीं

इनका कहना है कि छात्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. बस उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है, क्योंकि छात्र वैसे जगह से सरकारी विद्यालय में पढ़ने के लिए आते हैं. जहां उन्हें निजी विद्यालय की तरह सुविधा उपलब्ध नहीं मिल पाती है, लेकिन हमारा प्रयास है कि निजी विद्यालय में पढ़ने वाले गरीब बच्चे भी पूरी तरह से अंग्रेजी में दक्षता के साथ अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने प्रस्तुत करें. ताकि आने वाले समय में वह अपना और अपने घर वालों का नाम रोशन कर सके. हम कह सकते हैं कि अगर बोकारो में इसी तरह निजी विद्यालयों में जाकर इस तरह के युवा ज्ञान देने का काम करें तो सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं भी निजी स्कूल के तर्ज पर स्कूल, घर और प्रदेश का नाम रोशन कर सकेंगे.