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गुमला में लाचार वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम, माता-पिता बच्चों के लिए बनते जा रहे हैं बोझ

गुमला जिला के सिलम में जिला प्रशासन की पहल के बाद एक साधन संपन्न वृद्धाश्रम स्थापित किया गया.

Updated on: 03 Mar 2023, 02:18 PM

highlights

  • गुमला में लाचार वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम
  • मां-पिता बच्चों के लिए बनते जा रहे हैं बोझ
  • बच्चों से प्रताड़ित माता-पिता को मिलेगा सहारा

Gumla:

गुमला जिला के सिलम में जिला प्रशासन की पहल के बाद एक साधन संपन्न वृद्धाश्रम स्थापित किया गया. इस केंद्र का संचालय समाज कल्याण विभाग के द्वारा किया जायेगा. इस स्थान पर अपनों से त्यागे लोगों को एक बेहतर माहौल में रखने की कोशिश की जाएगी. ऐसे तो जिस जिला में वृद्धाश्रम की स्थापना की जाती है, उस स्थान पर माना जाता है कि लोगों में अपने माता-पिता के प्रति सम्मान की भावना नहीं है. जो निश्चित रूप से चिंता का विषय है, लेकिन आज के समय में एक कहावत पूरी तरह से चरितार्थ होती नजर आ रही है कि पांच बच्चों को एक मात पिता तमाम विपरीत परिस्तिथि के बीच पाल पोष कर बड़ा कर देते हैं. वहीं, उन्हीं पांच बच्चों के बीच एक वृद्ध माता पिता का लालन पालन नहीं हो पाता है.

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इसी बात को गंभीरता से लेते हुए सरकार की ओर से जिलों में वृद्धाश्रम स्थापित की जा रही है. उसी क्रम में गुमला जिला के सिलम में एक साधन संपन्न वृद्धाश्रम की स्थापना की गई है. जिसका जिला के उपायुक्त सुशांत गौरव ने खुद अपनी प्रशासनिक टीम के साथ किया. इस दौरान डीसी ने खुद इस केंद्र को देखरेख में संचालित करने की बात कहते हुए कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

लाचार वृद्धों के रहने के लिए की जा रही है उचित व्यवस्था

इस केंद्र के खुलने की सूचना पर कई ऐसे लोग केंद्र में पहुंच गए, जो अपने ही बच्चों से प्रताड़ित है. उनकी मानें तो इस केंद्र में अब वे अपने जीवन के बचे समय को खुशहाली से बिता सकते हैं. उन्होंने कहा कि आज उम्र की जिस पड़ाव में है, वहां उनसे काम नहीं होता है, लेकिन उसके बाद भी उनपर मजदूरी करने का दबाव दिया जाता है. वहीं, इस केंद्र पर लोगों के रहने की बेहतर व्यवस्था के साथ ही उनके मनोरंजन की भी पूरी व्यवस्था की गई है.

बदलते समय के साथ मां-पिता ही बच्चों के लिए बनते जा रहे हैं बोझ

ऐसे तो जिस देश में माता-पिता को भगवान का दर्जा देने का इतिहास रहा है. वहां आज इस तरह के केंद्रों की आवश्यकता पड़ रही है. वह भी चिंता का विषय है, लेकिन अब जब इसकी आवश्यकता ही पड़ गयी है तो सरकार द्वारा जो बनाया जा रहा है तो इस केंद्र को सरकार की योजना नहीं बल्कि मानवता की सेवा मानकर संचित की जानी चाहिए, तभी इसकी सार्थकता नजर आएगी.