गुमला के इस गांव में है हनुमान जी की जन्मस्थली, आज भी मौजूद हैं प्रमाण
गुमला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंजनगांव लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है.
highlights
- गुमला के इस गांव में है हनुमान जी की जन्मस्थली
- आज भी मौजूद हैं प्रमाण
- माता अंजनी का कभी हुआ करता था वास
Gumla:
गुमला जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंजनगांव लोगों की आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है. दरअसल, इस गांव को लेकर एक मान्यता है कि इसी गांव में पहाड़ की ऊंची चोटी पर बने एक गुफा में माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया था. जिसके कारण ही इस गांव का नाम आंजन पड़ा पहाड़ के ऊपर स्थित इस गुफा में माता अंजनी के गोद में हनुमान जी की मूर्ति अपने आप में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इस मंदिर के मुख्य पुरोहित के रूप में कोई पंडित ना होकर उरांव समाज के पहन पुजारी इस मंदिर के मुख्य पुरोहित होते हैं.
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गांव में 365 तलाब, 365 शिवलिंग और 365 महुआ का पेड़
चीन के वंशज लंबे समय से यहां माता अंजनी और हनुमान जी की पूजा करते हुए आए हैं. मंदिर के पुजारी सीताराम उराव की मानें तो इस अवसर पर ही माता अंजनी ने हनुमान जी को जन्म दिया था. इससे जुड़ी कई मान्यताएं यहां मिलती है. उन्होंने बताया कि इसी गुफा में माता अंजनी आई थी और यहीं पर उन्होंने हनुमान जी को जन्म दिया था, जो कि हजारों वर्ष पुराना इतिहास बताता है. उन्होंने बताया कि आज भी इस गांव में 365 तलाब, 365 शिवलिंग और 365 महुआ का पेड़ है. प्रत्येक दिन माता अंजनी महुआ के पेड़ के दातुन का उपयोग कर तालाब में स्नान करने के बाद अलग-अलग शिवलिंग पर भगवान शिव को जलाभिषेक किया करती थी. जिसके प्रमाण आज भी गांव में मौजूद है.
माता अंजनी का कभी हुआ करता था वास
हालांकि कालांतर में बहुत सारे तालाब भर दिए गए और कई शिवलिंग भी धरती में समा गई है, लेकिन आज भी पूरे गांव के चौहद्दी में काफी संख्या में शिवलिंग मौजूद है. इसके अन्य प्रमाण भी मिलते हैं. उन्होंने बताया कि पहाड़ की ऊंची चोटी पर स्थित इस गुफा में सांप की मौजूदगी रहा करती थी. साथ ही साथ इस गुफा से एक अद्भुत सुगंध आया करता थी, जो लोगों के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बनता था. इस मंदिर के चारों तरफ कई ऐसे प्रमाण हैं, जो माता अंजनी के यहां होने का सबूत देते हैं. यह गुफा लंबे-लंबे दूरी तक एक स्थान से दूसरे स्थान को जोड़ता है. वहीं उन्होंने बताया कि कई स्थानों पर आज भी माता अंजनी से जुड़े प्रमाण देखने को मिलते हैं.
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