logo-image

सरायकेला में हाथियों का आतंक, वन विभाग मौन

कोल्हान के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा. एक दर्शक था उस समय नक्सली के डर से आम नागरिक गांव छोड़कर पलायन किया था.

Updated on: 30 Dec 2023, 05:54 PM

highlights

  • सरायकेला में हाथियों का आतंक
  • वन विभाग ने साधा मौन
  • जनता में आक्रोश

Saraikela:

कोल्हान के ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में चर्चा का विषय बना रहा. एक दर्शक था उस समय नक्सली के डर से आम नागरिक गांव छोड़कर पलायन किया था. अब के दर्शक में ग्रामीणों आपने परिवार की जान माल की सुरक्षा के लिए खुद पर निर्भर रहा और डर के माहौल में जीने को मजबूर है, कहीं कोई सुरक्षा नहीं. शाम ढलते ही ग्रामीण गांव आने के लिए कतरा रहे हैं, ना जाने कब गजराज की झुंड मौत बनकर रास्ते पर खड़े ना हो. लोग कदम फूंक- फूंक करके चलने लगा, ना जाने कब गजराज से बिछड़े यह विशाल दांतेल हाथी की आमना सामना हो जाने से जान बचाना मुश्किल हो जाएगा. क्यूंकि गजराज का झुंड जंगल छोड़ कर अब गांव के आसपास छोटे-छोटे जंगल में डेरा डाल कर रखा है और मौका मिलते ही घर व रखे अनाज का अपना निशाना बना रहा है. साथ घर को क्षतिपूर्ति कर देता है, जिसे ग्रामीण क्षेत्र में भय का माहौल बना रहा है.

यह भी पढ़ें- Jharkhand Year Ender 2023: कैश कांड से लेकर लिफाफा तक, ऐसा रहा पूरा साल

हाथियों का आतंक

शनिवार की तड़के सुबह चांडिल दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी के विशाल दो गजराज मिलनचोक के आसपास धान की खेत में सुबह आपस में घंटों लड़ाई जारी रहा. दोनों गजराज की आपस में घमासान लड़ाई से ग्रामीणों का रात्रि का नींद हराम कर दिया. हाथियों का चिहड़ाना से ग्रामीण रातभर सहमे रहा. सुबह देखा दोनों गजराज सुबह तक लड़ते रहे और अंतिम में एक गजराज भाग गया. सैकडों ग्रामीणों ने हाथी की लड़ाई देखी. एक सप्ताह से निमडीह थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर हाईस्कूल के आसपास और दूमदुमि इंटर कॉलेज के आसपास रातभर गजराजों का झुंड गांव में प्रवेश करके आतंक मचा दिया था. 

वन विभाग मौन

जिसे ग्रामीणों रात्रि में भयभित रहने लगा. कहीं हाथियों का झुंड घर को क्षत्रिपूर्ति ना कर दे क्यूंकि अब खेती में धान नहीं रहा. खेत से खलियान और घर में धान रखे गए. जिसको हाथी निशाना बना रहा है. दूसरी ओर हारिगिर के गाड़ी के आगे दांतेल हाथी भागते हुए देखा गया. ईचागढ़ विधान सभा क्षेत्र में अब गजराजों की आतंक से जनजीवन परेशान रहने लगा. वन विभाग मौन रहने लगा. अब ग्रामीण एक मात्र ईश्वर के भरोसे जीने को मजबूर है. हाथी के आतंक से सरकार कैसे सुरक्षा देते हैं, यह देखना बाकी है. अगामी 2024 की चुनाव में नेता के पास ग्रामीणों के लिए क्या एजेंडा रहेगा. जनता विकास और हाथी के आतंक का जवाब देने के लिए तैयार है.