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बम ब्लास्ट केस में 23 साल तक सजा काटता रहा बेगुनाह, बाहर निकला तो सब कुछ हो चुका था खत्म

साल 1996 में लाजपत में हुए बम ब्लास्ट केस में तीन लोगों को गिरफ्तरा किया गया था. इन तीन लोगों में मोहम्मद अली भट्ट, लतीफ अहमद वाजा और मिर्जा निसार हुसैन शामिल हैं

Updated on: 26 Jul 2019, 01:43 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली के लाजपत नगर और राजस्थान के दौसा में हुए बम ब्लास्ट मामलों में 23 साल तक जेल में रहने के बाद आखिरकार राजस्थान की कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को निर्दोष करार दिया. इन अभियुक्तों को इंसाफ तो मिला लेकिन इसमें इतनी देर हो गई उन्होंने अपना सब कुछ गंवा दिया. 23 साल बाद जब इन अभियुक्तों में से एक अली भट्ट श्रीनगर में अपने घर पहुंचा तो उसका स्वागत करने के लिए कोई नहीं था. इन 23 सालों में उसके माता-पिता गुजर चुके थे. 23 सालों तक मोहम्मद अली भट्ट राजस्थान और दिल्ली की जेलों में बंद था.

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क्या था पूरा मामला?

साल 1996 में लाजपत में हुए बम ब्लास्ट केस में तीन लोगों को गिरफ्तरा किया गया था. इन तीन लोगों में मोहम्मद अली भट्ट, लतीफ अहमद वाजा और मिर्जा निसार हुसैन शामिल हैं. कुछ सालों के बाद राजस्थान पुलिस ने इन तीनों आरोपियों का नाम दौसा में हुए एक ब्लास्ट में भी शामिल कर लिया. जिस समय उनको गिरफ्तार किया गया उस समय उनकी उम्र महज 20 साल थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2012 में उन्हें लाजपत बम ब्लास्ट में दोषमुक्त कर दिया गया लेकिन दौसा का केस काफी लंबा खिच गया और अब जाकर राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त कर दिया.

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23 साल बाद जब मोहम्मद अली भट्ट घर पहुंचे तो सबसे पहले अपने माता-पिता के क्रब पर गए और खूब रोए. उन्होंने कहा- मेरे साथ जो अन्याय हुआ उसमें मेरी आधी जिंदगी जाया हो गई. मेरे माता पिता मेरी दुनिया थे, भट्ट की मा का देहांत 2002 में हुआ था जबिक उनके पिता 2015 में ही चल बसे थे.