हिमाचल चुनाव: तिब्बती समाज में पहली बार वोटिंग के अधिकार पर क्यों है कहीं खुशी कहीं गम, जानिए
यह पहला मौका है जब धर्मशाला में रेफ्यूजी बनकर आये तिब्बती अब प्रदेश चुनावों में अपने मतदान का प्रयोग करने वाले है। पहली बार चुनाव में भाग ले रहे तिब्बती इससे काफी खुश है।
highlights
- 2014 में हुए लोकसभा चुनावो में 200 तिब्बतियों ने डाला था वोट
- प्रदेश चुनाव में पहली बार वोट डालेंगे तिब्बती रिफ्यूजी
- तिब्बती समाज में वोट डालने के अधिकार पर बटी राय, कई तिब्बती नाराज भी
नई दिल्ली:
तिब्बत से 60 साल पहले दलाई लामा के साथ रेफ्यूजी बनकर धर्मशाला पहुंचे तिब्बत के लोग हिमाचल चुनावो में इस बार पहली बार वोट डालेंगे।
केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के निर्देशों के बाद हिमाचल में इस साल 1500 से ज्यादा लोग ने अपना वोटर आईडी बनवा लिया है। फरवरी 2014 में केंद्र सरकार द्वारा तिब्बतियों की चुनावों में हिस्से दारी को लेकर लिए गए निर्णय के बाद चुनाव आयोग ने इस बाबत निर्देश जारी किए थे।
इसके बाद चुनाव आयोग ने 1950 से 1987 के बीच भारत मे जन्में तिब्बतियों के वोटर आईडी कार्ड बनाने के निर्देश जारी किए थे। 2014 में हुए लोकसभा चुनावो में पहली बार करीब 200 तिब्बतियों ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था।
हालांकि, यह पहला मौका है जब धर्मशाला में रेफ्यूजी बनकर आये तिब्बती अब प्रदेश चुनावों में अपने मतदान का प्रयोग करने वाले है। पहली बार चुनाव में भाग ले रहे तिब्बती इससे काफी खुश है।
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उनका मानना है कि इससे अब राजनीतिक दल उनकी समस्या मसलन बिजली, पानी, सड़क आदि पर ज्यादा ध्यान देंगे।
तिब्बत रेफ्यूजी गोम्पू कहते हैं, 'तिब्बतियों को मिले वोटिंग राइट को विकास के तौर पर देखना चाहिए। हम किसी हक के लिए नही लड़ रहे लेकिन इससे हमें एक पहचान मिलेगी। हम अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचा सकेंगे।'
वहीं, तिब्बती महिला लोबसांग कहती हैं, 'हमारे पास वोटिंग राइट न होने से हमे काफी बुरा लगता था जबकि हम भारत में पैदा हुए थे। अब वोटिंग राइट मिलने से हम और सशक्त बनेंगे।'
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वही, दूसरी तरफ धर्मशाला में रह रहे दूसरे ज्यादातर तिब्बती वोटिंग राइट के मुद्दे को लेकर नाराज़ भी हैं। नाराज़ तिब्बती इस मुद्दे पर खुल कर तो नही बोलते लेकिन उनका मानना है कि भारत से वोटिंग राइट लेने से उनका तिब्बत में चल रहा फ्रीडम स्ट्रगल कमज़ोर होगा। वैसे, इस बार वोटिंग कर रहे तिब्बती लोगों का मत इससे अलग है।
थिनसे जम्पा, तिब्बत सामाजिक कार्यकर्ता हैं और मानते है कि वोटिंग राइट मिलने से उनका रिश्ता भारत के लोगों से और मजबूत होगा और हम उनको तिब्बत के स्ट्रगल के बारे में और विस्तार से बता पाएंगे।'
वहीं, दलाई लामा या फिर धर्मशाला में चलने वाली तिब्बती सरकार की तरफ से वोटिंग को लेकर किसी तरह का कोई बयान नही आया है। लेकिन वोटिंग करने वाले तिब्बतियों का कहना है कि उन्हें किसी तरफ से कोई दबाव नही है।
थिनसे जम्पा के मुताबिक, 'उन्हें तिब्बती सरकार की तरफ से कोई निर्देश नही मिले हैं। तिब्बत की सरकार लोकतंत्र में विश्वास रखती है और सभी को अपने तौर पर फैसला लेने की आज़ादी है।'
बहरहाल जो भी हो, तिब्बत के जिन लोगो को वोटिंग कार्ड मिला है और जो इस बार वोटिंग में भाग लेने वाले है, उनका इतिहास में नाम जरूर दर्ज होने वाला है और वे अपने आने वाली पीढ़ी को तिब्बत से भारत आने और यहां पर वोटिंग राइट पाने तक की कहानी जरूर सुनने वाले हैं।
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