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Maharashtra Political Crisis: शिवसेना को समर्थन देने के लिए अब सामने आई कांग्रेस-NCP की डिमांड लिस्ट

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबितक कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल मंगलवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पावर से मुलाकात करने पहुंचे. इस मुलाकात सरकार बनाने को लेकर 4 बिंदुओं पर चर्चा हुई

Updated on: 13 Nov 2019, 10:05 AM

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में शिवसेना को समर्थन देने को लेकर एनसीपी-कांग्रेस का रुख अब साफ नहीं हो पाया. शिवसेना का दावा था कि उसके पास सरकार बनाने के लिए बहमुत है लेकिन राज्यपाल की तरफ से दी गए समयसीमा के अंदर पार्टी बहुमत साबित करने में नाकाम रही. बताया जा रहा था कि अब एनसीपी भी शिवसेना से 50-50 फॉर्मूले पर सरकार बनाने की मांग कर रही है जिसकी वजह से दोनों पार्टियों के बीच बातचीत अटक गई. इस बीच महाराष्ट्र में सिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-एनसीपी की डिमांड लिस्ट सामने आई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबितक कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल मंगलवार को एनसीपी सुप्रीमो शरद पावर से मुलाकात करने पहुंचे. इस मुलाकात सरकार बनाने को लेकर 4 बिंदुओं पर चर्चा हुई.

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सबसे पहली बात जिसपर चर्चा की गई वो ये कि स्थाई सरकार बनाने के लिए कांग्रेस को भी सरकार का हिस्सा बनना चाहिए. ये बात एनसीपी की तरफ से रखी गई. वहीं कांग्रेस ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात कही. इसके साथ इस बात पर भी चर्चा हुई कि सीएम पद के लिए 50-50 फॉर्मूला अपनाना चाहिए. एनसीपी-शिवसेना को ढाई-ढाई साल के सीएम पद के बंटवारे पर सरकार बनानी चाहिए. इसके साथ ही ये बात भी रखी गई कि कांग्रेस की तरफ से पूरे पांच साल के लिए डिप्टी सीएम हो.

तीसरा मुद्दा जिसपर चर्च हुई वो था कि तीनों पार्टियों में सत्ता का बरबर बंटवारा. सूत्रों की मानों तों कांग्रेस चाहती है कैबिनेट में 42 मंत्रियों को शामिल किया जाए. और इसका बंटवारा कांग्रेस के 14, शिवसेना के 14 औ एनसीपी के 14 मंत्रियों के साथ हो. इसके अलावा कांग्रेस इस सरकार में गृह और राजस्व जैसे अहम मंत्रालय भी चाहती है. वहीं इस बात पर भी चर्ता हो रही है कि अगर मुख्यमंत्री शिवसेना का ही हो तो डिप्टी सीएम फिर दो होनी चाहिए.

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गौरतलब है कि महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों में बीजेपी ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की है. वहीं एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत हासिल हुई. यानी सबसे कम सीटों पर जीत हासिल होने के बावजूद कांग्रेस सरकार में बराबर का हिस्सा चाहती है.