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CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी में छात्र के घायल होने के बाद जामिया में तनाव

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर भी रात में लोगों और छात्रों ने प्रदर्शन किया और सीएए के खिलाफ नारेबाजी की

Updated on: 31 Jan 2020, 07:00 AM

दिल्ली:

राजधानी दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास गुरुवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे एक समूह पर एक व्यक्ति द्वारा पिस्तौल से गोली चलाए जाने के बाद हजारों लोग और पुलिसकर्मी आमने सामने आ गए. व्यक्ति द्वारा चलायी गई गोली से एक छात्र घायल हो गया जबकि घटना के बाद उक्त व्यक्ति पिस्तौल हवा में लहराते और यह चिल्लाते हुए निकला कि ‘ये लो आजादी.’ रात होने के साथ ही क्षेत्र में व्यापक प्रदर्शन शुरू हो गया. आंदोलनकारी छात्र और विश्वविद्यालय के पास जमा अन्य सैकड़ों लोगों ने बैरिकेड तोड़ दिये और पुलिसकर्मियों से भिड़ गए. महिलाओं सहित कुछ प्रदर्शनकारियों को जबर्दस्ती ले जाते हुए देखा गया. कई लोगों ने राष्ट्रीय गान गाया.

दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर भी रात में लोगों और छात्रों ने प्रदर्शन किया और सीएए के खिलाफ नारेबाजी की. विश्वविद्यालय और पुलिस अधिकारियों के अनुसार जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर शुरू हुआ प्रदर्शन पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए चार लोगों को रिहा किए जाने के बाद खत्म हो गया. पुलिस ने गोली चलाने वाले व्यक्ति को पकड़ लिया और उसे गिरफ्तार कर लिया. घायल छात्र शादाब फारुक के हाथ से खून बहते हुए देखा गया. उसे एम्स ट्रामा सेंटर ले जाया गया. फारुक जनसंचार का छात्र है और वह कश्मीर का रहने वाला है. इस पूरी घटना से क्षेत्र में खलबली मच गई. यह घटना टेलीविजन कैमरों में रिकार्ड हो गई जिसमें दिखा कि हल्के रंग की पैंट और गहरे रंग की जैकेट पहने व्यक्ति पुलिस द्वारा बैरिकेड लगायी गयी खाली सड़क से निकलता है और मुड़कर प्रदर्शनकारियों पर चिल्लाता है ‘ये लो आजादी’ उसके पीछे पुलिसकर्मियों का एक समूह भी दिखा.

विशेष सीपी (खुफिया) प्रवीर रंजन ने कहा, ‘पुलिस जब तक प्रतिक्रिया जताती, व्यक्ति गोली चला चुका था. सब कुछ सेकंड में हुआ. जांच जारी है और मामले को अपराध शाखा को सौंप दिया गया है.’ उन्होंने  कहा, ‘हमने व्यक्ति को पकड़ लिया है. हम इसकी जांच कर रहे हैं कि वह किशोर है या नहीं.’ ऐसे में जब क्षेत्र में तनाव उत्पन्न हो गया तो गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया कि उन्होंने दिल्ली पुलिस आयुक्त से बात की है और उनसे कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने को कहा है. गृहमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.

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दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त कानून-व्यवस्था (उत्तर) सतीश गोलचा ने फारुक से एम्स के ट्रॉमा सेंटर में मुलाकात की. वहां उसका उपचार चल रहा है। गोलचा ने कहा,‘हमने उससे मुलाकात की। गोली निकाल दी गई है और उसने चिकित्सक से बात भी की है।’’ उक्त व्यक्ति पिस्तौल दिखाने से पहले फेसबुक पर लाइव हुआ था जिसमें स्वयं की पहचान रामभक्त गोपाल बतायी थी. पुलिस ने कहा कि वह इसकी जांच कर रही है कि क्या यह उसका वास्तविक नाम है. इस घटना से पहले व्यक्ति ने फेसबुक पर संदेश पोस्ट किये ‘‘शाहीनबाग का खेल खत्म।’’ एक अन्य संदेश में उसने लिखा है, ‘‘मेरी अंतिम यात्रा पर...मुझे भगवा में ले जायें...और जय श्रीराम के नारे हों.' उसकी पोस्ट के स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के बाद उसका फेसबुक प्रोफाइल डिलीट कर दिया गया. वहीं स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता प्रशांत भूषण, भाकपा नेताओं डी राजा और कुमार अंजान उन नेताओं में शामिल थे जिन्हें आज महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर संविधान के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए आयोजित अलग-अलग प्रदर्शनों के दौरान हिरासत में ले लिया गया.

कई छात्रों ने बताया कि किस तरह से गांधी की पुण्यतिथि पर राजघाट के लिए निकाला गया उनका शांतिपूर्ण मार्च हिंसा में फंस गया.र्थशास्त्र की छात्रा आमना आसिफ ने कहा, ‘हम होली फैमिली अस्पताल की ओर बढ़ रहे थे जहां पुलिस ने बैरिकेड लगाये थे. अचानक पिस्तौल लिये हुए व्यक्ति सामने आया और गोली चला दी. एक गोली मेरे मित्र के हाथ पर लगी।’’ उसने कहा कि उसका मित्र फारुक हमलावर को शांत कराने का प्रयास कर रहा था. इस बीच जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा कि विश्वविद्यालय गोलीबारी की घटना में ज़ख्मी हुए छात्र शादाब फारुक के इलाज का खर्च उठाएगा.

अख्तर ने कहा, 'जामिया मिलिया इस्लामिया घायल छात्र के इलाज का भुगतान करेगा और उसके लिए परीक्षा की तारीखों में बदलाव करेगा.' कुलपति ने कहा कि पुलिस देखती रही, व्यक्ति ने पिस्तौल लहराई और ‘हमारे छात्र को गोली मार दी’. उन्होंने कहा, 'घटना ने पुलिस में हमारे यकीन को हिला दिया है.' विश्वविद्यालय में एलएलबी के छात्र आर नौशाद ने कहा, ‘जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी ने गांधीजी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के लिए मार्च का आयोजन किया था. मार्च की शुरुआत गेट नम्बर सात से दोपहर 12 बजे हुई लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी और मार्च को होली फैमिली अस्पताल के पास रोक दिया.’ नौशाद ने कहा, ‘गोपाल नाम का एक व्यक्ति वहां आया और हथियार निकाल लिया और बाद में एक गोली चला दी. वह सीएए के समर्थन में नारे भी लगा रहा था.’

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दिन ढलने के साथ ही स्थिति और बिगड़ गई. जामिया के छात्र आसिफ अहमद ने कहा कि प्रदर्शनकारी क्षेत्र से हटने को तैयार नहीं हैं जहां दोपहर में गोलीबारी की घटना हुई थी. अहमद ने कहा, ‘पुलिस ने बार बार हमें निराश किया है. वे हमलावर की ओर देखते रहे जैसे वे कोई सर्कस देख रहे हैं.’ गतिरोध के समाप्त होने का कोई संकेत नहीं दिखने के मद्देनजर पुलिस अधिकारियों ने बैरिकेड के पार से घोषणा की, ‘आज गांधीजी का दिन है. कृपया किसी तरह की हिंसा नहीं करें.’ पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि वे शाम चार बजे से ही प्रदर्शनकारियों से हटने का आग्रह कर रहे हैं. विश्वविद्यालय के प्रॉक्टर और प्रोफेसरों ने भी उन्हें वहां से हटने के लिए मनाने का प्रयास किया लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ.

क्षेत्र के निवासियों ने मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने का प्रयास किया. जामिया शिक्षक संघ के सचिव माजिद जमील ने कहा, ‘हम छात्रों से उन्हें वापस घर और छात्रावास जाने का अनुरोध कर रहे हैं. हम उनसे पुलिस नहीं भिड़ने का आग्रह कर रहे हैं.’ संयुक्त पुलिस आयुक्त डी सी श्रीवास्तव ने बताया कि सभी छात्रों को छोड़ दिया गया और इसके बाद प्रदर्शन समाप्त हो गया. इस बीच हमले का विरोध करने के लिए सैकड़ों लोग गुरुवार रात को आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस के मुख्यालय के बाहर जमा हो गए. प्रदर्शनकारियों में छात्र समूह भी शामिल थे, जिन्होंने सीएए के खिलाफ नारेबाज़ी की.

गुरुवार की घटना ने 15 दिसंबर की घटना की याद ताजा कर दी जब सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय वस्तुत: संघर्षक्षेत्र में तब्दील हो गया था जब पुलिस ने परिसर में प्रवेश किया था और बल प्रयोग किया था. कई छात्र एवं अन्य घायल हो गए थे। इसके साथ ही डीटीसी की चार बसें, 100 निजी वाहन और 10 पुलिस बाइक भी क्षतिग्रस्त हो गई थीं.