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एमसीडी चुनाव 2017: कांग्रेस, बीजेपी, आप समेत सभी दल पूर्वांचल के मतदाताओं को लुभाने की होड़ में

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पूर्वाचल के मतदाताओं को लुभाने की होड़ में लग गए हैं।

Updated on: 12 Apr 2017, 03:02 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पूर्वाचल के मतदाताओं को लुभाने की होड़ में लग गए हैं।

राजधानी में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल वासी मतदाताओं की संख्या बढ़ने से राजनीतिक समीकरण एकदम बदल गए हैं, और हर पार्टी पूर्वांचल के मतदाताओं के वोट साधने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। अनुमान के अनुसार, दिल्ली में लगभग 40 लाख पूर्वांचली मतदाता हैं, जो किसी भी पार्टी की जीत और हार का फैसला करने का माद्दा रखते हैं।

दिल्ली के एमसीडी चुनाव में पूर्वांचल और बिहार की एक बड़ी आबादी को लुभाने के लिए छोटी से लेकर बड़ी पार्टियां गठजोड़ में जुट गई हैं। ये वे लोग हैं जो रोजगार और एक बेहतर भविष्य की तलाश में बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल से दिल्ली आकर बस गए।

भाजपा, कांग्रेस और आप से लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) और लोकतांत्रिक जनता पार्टी (लोजपा) जैसे दलों ने भी पूर्वाचली बहुल इलाकों में पूर्वाचली उम्मीदवारों को उतारा है। भाजपा ने सोची-समझी रणनीति के तहत भोजपुरी के प्रख्यात गायक मनोज तिवारी को दिल्ली भाजपा इकाई का अध्यक्ष तक बनाया।

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इस संबंध में हालांकि मनोज तिवारी ने कहा, 'पार्टी ने कभी मतदाताओं में भेद नहीं किया। पार्टी क्षेत्रीय आधार पर मतदाताओं के बंटवारे में विश्वास नहीं करती। हां, यह बात जरूर है कि पूर्वांचली मतदाताओं की समस्याएं दूर की जाएंगी। कच्ची कॉलोनियों को पक्का करने का फैसला इसी दिशा में उठाया गया कदम है, जिस पर हम मुस्तैदी से काम करेंगे।'

एमसीडी चुनाव से पहले भोजपुरी फिल्मों के एक और स्टार अभिनेता रवि किशन को पार्टी में शामिल कर भाजपा ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है कि वह पूर्वाचली मतदाताओं को किसी कीमत पर पार्टी से जोड़ना चाहती है।

पारंपरिक रूप से पूर्वांचली मतदाता भाजपा और कांग्रेस को ही मतदान करते रहे हैं, लेकिन साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पूर्वांचली मतदाताओं में सेंध लगाकर जीत दर्ज कर चुकी आप ने एमसीडी चुनाव में अन्य पार्टियों के मुकाबले सबसे अधिक 36 पूर्वाचली उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

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पार्टी की दिल्ली इकाई के संयोजक दिलीप पांडे ने कहा, 'हमारी पार्टी पूर्वांचली मतदाताओं की परेशानियों को जोर-शोर से उठाती रही है। यही वजह है कि इन मतदाताओं का हम पर भरोसा बढ़ा है। पार्टी ने पूर्वाचल के उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं, जो बेहतर तरीके से इनकी परेशानियों को समझकर उसे दूर कर पाएंगे।'

कांग्रेस भी पूर्वांचली गठजोड़ में पीछे नहीं है। पार्टी पूर्वांचली क्षेत्रों में प्रचार पर पूरा ध्यान दे रही है। पार्टी ने पूर्वाचली पैठ वाले नेताओं को प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी दे रखी है, जबकि जनता दल (युनाइटेड) ने पूर्वाचली मतदाताओं के दम पर ही एमसीडी की सभी 272 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

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खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एमसीडी चुनाव में दो रैलियों को संबोधित करने वाले हैं, जो यकीनन पूर्वांचली और बिहारी मतदाताओं को पार्टी से जोड़ने का पैंतरा और दिल्ली में पार्टी की पैठ बनाने का सुनहरा अवसर है।

राजद और लोजपा जैसी पार्टियां भी पूर्वांचली और बिहारी मतदाताओं के दम पर दिल्ली में पैठ बनाने की जुगत में हैं। बिहार के कई दिग्गज नेताओं की फौज दिल्ली भेजी जा रही है, जिसमें लोजपा के चिराग पासवान, राजद के तेजस्वी यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। लेकिन चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका पता 26 अप्रैल को चलेगा।

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