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विपक्ष के हंगामे के बीच बिहार विधानसभा में दो विधेयक पारित, जीएसटी पंजीकरण में आधार हुआ अनिवार्य

बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में एनआरसी को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच सदन ने उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) द्वारा पेश किए गए.

Updated on: 26 Nov 2019, 07:44 PM

पटना:

बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में एनआरसी को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच सदन ने उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) द्वारा पेश किए गए बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2019 तथा बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. विधानसभा की कार्यवाही भोजनावकाश के बाद शुरू होने पर एनआरसी को वापस लिए जाने और इसे बिहार में लागू न करने के वास्ते सदन द्वारा एक प्रस्ताव पारित किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने आसन के समक्ष नारेबाजी की.

इसके बीच उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा पेश बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2019 और बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 को अध्यक्ष विजय कुमार चौधारी ने ध्वनिमत से पारित घोषित कर दिया. सुशील ने बिहार माल और सेवा कर संशोधन विधेयक 2019 के बारे में बताया कि जीएसटी परिषद की अनुशंसाओं के आलोक में बिहार माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 में प्रस्तावित संशोधन के अनुसार इस अधिनियम के अन्तर्गत पूर्व में निबंधन के लिए सीमा 20 लाख रुपये निर्धारित थी जिसे अब 40 रुपये लाख किया गया है.

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उन्होंने कहा कि जीएसटी के अधीन निबंधन प्राप्त करने के लिए "आधार" संख्या को अनिवार्य बनाया गया है ताकि नव—निबंधित व्यवसायियों की ठोस पहचान की जा सके. सुशील ने कहा कि अधिनियम में हुए प्रथम संशोधन के तहत प्रावधान किया गया था कि कम्पोजिशन लेवी का कोई करदाता राज्य में अपने कारोबार का 10 प्रतिशत अथवा पांच लाख रुपये, जो भी अधिक हो की सीमा तक सेवाओं की आपूर्ति कर सकेगा.

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधन में मुख्य रूप से सेवाओं की आपूर्ति करने वाले 50 लाख रुपये कारोबार तक के व्यवसायियों के लिए भी कम्पोजिशन लेवी का लाभ दिए जाने का प्रावधान है. सुशील ने कहा कि कम्पोजिशन लेवी के विकल्प का चुनाव करने वाले व्यवसायियों के लिए त्रैमासिक आधार पर विवरणी एवं त्रैमासिक कर भुगतान के प्रावधान हैं. प्रस्तावित संशोधन में कम्पोजिशन लेवी के व्यवसायियों के लिए मात्र वार्षिक विवरणी दाखिल किए जाने की व्यवस्था की गई है, पर कर का भुगतान त्रैमासिक आधार पर किया जायेगा.

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उन्होंने बिहार काराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 के बारे में बताया कि एकमुश्त कर समाधान योजना (ओटीएस) के तहत 31 दिसंबर तक सृजित विवादों का समाधान प्रास्तावित योजना में किया जा सकता है. प्रास्तावित समाधान योजना तीन माह की अवधि के लिए लागू होगी. उन्होंने कहा कि पिछली समाधान योजना में विवादित बकाया राशि के आधार पर वर्गीकरण किया गया था एवं बकाया के समाधान के लिए कर की अलग-अलग दरें निर्धारित थीं.

प्रस्तावित समाधान योजना में विवाद में सन्निहित कर की राशि के आधार पर अलग अलग स्लैब के वर्गीकरण को समाप्त कर दिया गया है. प्रस्तावित योजना में पहले के अधिनियमों के किसी भी अवधि एवं किसी भी राशि के विवादित कर बकाये को 35 प्रतिशत के भुगतान पर निपटारा किया जा सकेगा. भाषा अनवर नीरज नेत्रपाल महाबीर महाबीर