जातीय गणना पर गहलोत सरकार के समर्थन में तेजस्वी यादव, दिया ये बयान
बिहार में हुई जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट कार्ड जारी करने पर बिहार की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. अब देशभर में जाति आधारित गणना करने की मांग उठने लगी है.
highlights
- बिहार के बाद अब राजस्थान में भी होगा जातीय गणना
- जातीय गणना पर गहलोत सरकार के समर्थन में तेजस्वी यादव
- जातीय गणना पर बीजेपी के क्रेडिट वाले बयान पर किया पलटवार
- पूरे देश में जाति आधारित गणना कराए केंद्र सरकार- तेजस्वी
Patna:
बिहार में हुई जाति आधारित गणना और आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट कार्ड जारी करने पर बिहार की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है. अब देशभर में जाति आधारित गणना करने की मांग उठने लगी है. अशोक गहलोत और प्रियंका गांधी का कहना है कि अगर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वहां भी जाति आधारित गणना करने का काम करेंगे. वहीं, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अशोक गहलोत और प्रियंका गांधी के इस बयान का समर्थन किया है. तेजस्वी यादव ने कहा कि यह तो होना चाहिए और जो बीजेपी क्रेडिट ले रही है.
'बीजेपी पूरी ही समाप्त हो जाएगी'
तेजस्वी का कहना है कि बिहार में अगर हम सरकार में नहीं होते तो जाति आधारित गणना नहीं हो पाती. तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर इतना ही है तो देश में अभी उनकी सरकार है. पूरे देश में जाति आधारित गणना कर दें. वहीं, जेपी नड्डा के दिए गए बयान को लेकर तेजस्वी यादव ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टी को समाप्त करने निकले हैं, कहीं खुद न समाप्त हो जाए. धीरे-धीरे अन्य राज्यों में तो समाप्त हो रहे हैं. अभी आने वाले चुनाव में बीजेपी पूरी ही समाप्त हो जाएगी.
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बिहार में अब जाति के बाद होगी जमीन की लड़ाई?
बिहार में जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद शुरू हुई सियासी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही. पहले जाति, फिर धर्म और अब जमीन. मानो ऐसा लगता है कि बिहार की सियासत के कई पन्ने अभी लिखा जाना बाकी है. जो आगे के लिए बिहार की सियासत को तय करेंगे और 2024 में इसका असर देखने को भी मिलेगा. दरअसल जातीय आधारित गणना की रिपोर्ट सामने आने से पहले 30 सितंबर को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि चंद लोग देश चला रहे हैं. देश की संपत्ति बेच रहे हैं. चंद लोगों के पास ज्यादातर जमीन है. वहीं, बिहार में हुई जाति गणना की उस रिपोर्ट को अभी सामने नहीं लाया गया है. जिसमें यह है कि किस जाति के पास कितनी जमीन है. माना जा रहा है कि जब यह आंकड़ा सामने आएगा तो काफी चौंकाने वाला होगा, लेकिन सवाल ते अब यह उठता है कि क्या बिहार में अब जाति के बाद होगी जमीन की लड़ाई? उससे भी बड़ा सवाल यह कि क्या इन मुद्दों के जरिए बिहार में अगड़े-पिछड़े की राजनीति हो रही है.
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