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लोकसभा चुनाव

प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी को फिर टारगेट किया, कह दी यह बड़ी बात

प्रशांत किशोर ने एक बार फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी पर हमला बोला है.

Updated on: 25 Jan 2020, 10:16 AM

पटना:

जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक बार फिर बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) पर हमला बोला है. प्रशांत किशोर ने मोदी के हालिया ट्वीट और एक पुराने वीडियो को ट्विटर पर शेयर किया है. इसके साथ ही जदयू (JDU) नेता ने तंज कसते हुए कहा कि लोगों को चरित्र प्रमाणपत्र देने वाले सुशील मोदी का कोई तोड़ नहीं है.

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दरअसल, जदयू नेताओं की बगावत को लेकर सुशील मोदी ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया था. जिसमें उन्होंने लिखा, 'नीतीश कुमार जी के साथ यह विडम्बना अक्सर होती है कि अपनी उदारतावश वे जिनको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाते हैं, वे ही उनके लिए मुसीबत बनने लगते हैं. उन्होंने (नीतीश) किसी को अपनी कुर्सी दी, कितनों को राज्यसभा का सदस्य बनवाया, किसी को गैरराजनीतिक गलियों से उठाकर संगठन में ऊंचा ओहदा दे दिया, लेकिन इनमें से कुछ लोगों ने थैंकलेस होने से गुरेज नहीं किया. राजनीति में भी हमेशा सब जायज नहीं होता है.' इस ट्वीट से माना गया कि सुशील मोदी ने प्रशांत किशोर जैसे नेताओं को टारगेट किया है.

इसके बाद प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी के ट्वीट को रि-ट्वीट करते हुए उनका एक पुराना वीडियो भी शेयर किया है. हालांकि सुशील मोदी का यह वीडियो उस समय का है, जब बिहार में जदयू ने लालू यादव की पार्टी राजद से हाथ मिलाया था. लेकिन अब बिहार में जदयू को बीजेपी समर्थन दे रही है. इसी के मद्देनजर प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में लिखा, 'लोगों को चरित्र प्रमाण पत्र देने में सुशील मोदी का कोई जोड़ नहीं है. देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब डिप्टी सीएम बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं. इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है.'

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गौरतलब है कि प्रशांत किशोर और सुशील मोदी के बीच तनातनी का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी दोनों नेता आमने-सामने आ चुके हैं. हाल ही में दोनों के बीच सीएए और बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर टकराव देखने को नहीं था. प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बताया था. इस पर सुशील मोदी ने कहा, 'जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डेटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं. एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है.'