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मोतिहारी के अन्नदाता परेशान, यूरिया तस्कर मालामाल!

अगर कहीं यूरिया के दर्शन हो भी जाए तो उसकी कीमत सुन गरीब किसानों के पसीने छूट जाते है, क्योंकि जिस यूरिया की कीमत सरकार ने 266 रुपए तय किए है, वही यूरिया नेपाल में कारोबारी 1200 रुपए में बेच रहे है.

Updated on: 19 Dec 2022, 09:50 PM

highlights

  • मोतिहारी से होती है यूरिया की तस्करी
  • नेपाल पहुंचाई जाती है यूरिया
  • किसान परेशान, तस्कर मालामाल!

Motihari:

बिहार के अन्नदाता यूरिया संकट से जूझ रहे है. फसल को बचाने की जद्दोजहद में किसान दर-दर भटकने को मजबूर है लेकिन उन्हें यूरिया नहीं मिल पा रही है. अगर कहीं यूरिया के दर्शन हो भी जाए तो उसकी कीमत सुन गरीब किसानों के पसीने छूट जाते है, क्योंकि जिस यूरिया की कीमत सरकार ने 266 रुपए तय किए है, वही यूरिया नेपाल में कारोबारी 1200 रुपए में बेच रहे है. यानी भ्रष्ट अधिकारियों की भूख अन्नदाता के पेट पर लात मार रही है. एक तरफ जहां यूरिया की एक-एक बोरी के लिए किसान भटक रहे है तो वहीं दूसरी ओर सैंकड़ों बोरी यूरिया खुले आम तस्करी कर नेपाल भेजी जा रही है. बॉर्डर पार कर यूरिया तय कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बेची जा रही है और ये सारा खेल हो रहा है सिस्टम के सहारे हो रहा है. क्योंकि यूरिया की कालाबाजारी बिना अधिकारियों के मिले नहीं की जा सकती.

खाद को लेकर मचे त्राहिमाम के बीच जिला कृषि पदाधिकारी ने कालाबाजारी की पूरी जिम्मेदारी बॉर्डर पर तैनात SSB पर थोप दिया है और मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है लेकिन जिले के कस्टम की टीम ने बॉर्डर पर बड़ी कार्यवाई करते हुए जिला कृषि विभाग के काले करतूत की पोल खोल दी है. दरअसल कस्टम टीम ने कुण्डवा चैनपुर इलाके से लगभग 1000 बोरी उर्वरक और यूरिया को जब्त किया. इन खादों को नेपाल भेजने की तैयारी की जा रही थी. कस्टम विभाग की इस बड़ी कार्यवाई के बावजूद जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद ने जो बेतुका बयान दिया उसे सुन आप भी चौक जाएंगे. दरअसल, कृषि पदाधिकारी का कहना है कि यूरिया के कालाबाजारी के जिम्मेदार बॉर्डर पर तैनात एसएसबी है लेकिन माननीय शायद ये जवाब देना भूल गए कि इतनी बड़ी मात्रा में यूरिया बॉर्डर तक पहुंची कैसे.

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बहरहाल बिहार के किसानों के लिए यूरिया संकट कोई नई बात नहीं है. सालों से किसान इस मुसीबत से दो-चार होते आए हैं. हर बार शासन की ओर से उन्हें आश्वासन तो मिल जाता है लेकिन प्रशासन स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार के चलते अन्नदाता बेबस हो जाते हैं. ऐसे में जरूरत है कि सरकार संकट को गंभीरत से ले और तस्करी करने वाले आरोपियों पर कार्रवाई करे, ताकि किसानों को उनका हक मिल सके.

रिपोर्ट: रंजीत पाण्डेय