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Chath Puja 2023: मुंगेर के इस घाट पर माता सीता ने रखा था पहला छठ व्रत, आज भी मौजूद हैं पैरों के निशान

लंका पर विजय प्राप्त कर लौटते समय माता सीता भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थीं. यहीं माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था. इसका वर्णन वाल्मिकी और आनंद रामायण में भी किया गया है.

Updated on: 18 Nov 2023, 05:55 PM

highlights

  • मुंगेर में मां सीता ने किया था पहला छठ व्रत
  • आज भी पवित्र चरण चिह्न यहां मौजूद
  • वनवास के क्रम में माता सीता ने सीताकुंड में की थी छठ पूजा

Munger:

Munger Chath Puja History: बिहार-झारखंड में महापर्व छठ पूजा बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. वहीं हिंदू धर्म में छठ पूजा को सबसे पवित्र पर्व में से एक माना जाता है. चार दिनों तक चलने वाला यह छठ पर्व 17 नवंबर शुक्रवार से शुरू हो चुका है और 20 नवंबर को इसका समापन होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता सीता ने इस महापर्व को सबसे पहले कब किया था, तो आइए हम आपको बताते हैं. 

मुंगेर में माता सीता ने किया था छठ पूजा 

लंका पर विजय प्राप्त कर लौटते समय माता सीता भगवान श्री राम और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में रुकी थीं. यहीं माता सीता ने महापर्व छठ का अनुष्ठान किया था. इसका वर्णन वाल्मिकी और आनंद रामायण में भी किया गया है. बता दें कि, आज भी यहां माता सीता के पवित्र पैरों के निशान मौजूद हैं. अब यह स्थान सीता चरण (जाफर नगर) के नाम से जाना जाता है. यहां मंदिर का निर्माण 1974 में हुआ था. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, जब भगवान राम वनवास के लिए निकले तो वे माता सीता और लक्ष्मण के साथ मुंगेर में मुद्गल ऋषि के आश्रम में आये थे. उस समय माता सीता ने मां गंगा से वनवास की अवधि सुरक्षित बीतने की प्रार्थना भी की थी.

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माता सीता ने ऐसे किया था छठ पूजा कि शुरुआत 

आपको बता दें कि वनवास और लंका पर विजय के बाद भगवान राम और माता सीता फिर से ऋषि मुद्गल के आश्रम में आए, जहां ऋषि ने माता सीता को सूर्य की पूजा करने की सलाह दी थी. उन्हीं के कहने पर माता सीता ने गंगा नदी के एक टीले पर छठ महापर्व का व्रत किया. साथ ही बता दें कि, माता सीता ने भी (वर्तमान) सीता कुंड में स्नान किया था.

वनवास के समय सीताकुंड में किया था माता सीता ने अस्नान

वहीं आपको बता दें कि वनवास के दौरान माता सीता ने भी बांका के मंदार पर्वत पर स्थित सीताकुंड में छठ पूजा की थी. मुंगेर गजेटियर में भी उल्लेखित है कि सीता चरण मंदिर गंगा के बीच में एक चट्टान पर स्थित है. इस चट्टान पर माता सीता और भगवान राम के पैरों के निशान हैं और इसके अग्रभाग पर चक्र चिन्ह है.

इसके साथ ही आपको बता दें कि 1926 में प्रकाशित मुंगेर गजेटियर में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि सीता चरण की दूरी कष्टहरणी घाट के करीब है. वहीं गजेटियर के मुताबिक, पत्थर पर दो सीढ़ियों के निशान हैं, जिन्हें माता सीता के पैर माना जाता है। यह पत्थर 250 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है. इस स्थान का नाम पहले मुद्गल ऋषि के नाम पर मुद्गलपुर था, बाद में इसे मुंगेर के नाम से जाना जाने लगा. वहीं सीताकुंड को पर्यटन स्थल में शामिल करने के लिए डीपीआर तैयार कर पर्यटन विभाग को भेज दिया गया है.