युवराज सिंह : जी हां, 2 नहीं 3 विश्व कप जिता चुके हैं युवी
वैसे तो युवराज सिंह के नाम कई बेहतरीन रिकॉर्ड दर्ज हैं देश को तीन बार विश्वकप दिलाने का रिकॉर्ड ऐसा है जो लोगों को लंबे समय तक याद रहेगा
नई दिल्ली:
भारतीय क्रिकेट टीम के ऑलराउंडर युवराज सिंह ने सोमवार को नम आखों से क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि वह क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले रहे हैं. इसी के साथ उन्होंने अपेन करियर को याद करते हुए कहा 'क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया'. वैसे जितना ये सच है उतना ही सच ये भी है कि युवराज सिंह ने भी टीम इंडिया को बहुत कुछ दिया है. अपने दम पर टीम इंडिया को कई बार यादगार जीत दिलाने वाले युवराज सिंह कई वजहों से लोगों के जहन में हमेशा जिंदा रहेंगे, फिर वो चाहे 6 गेंदों पर 6 छक्के मारने वाले शानदार रिकॉर्ड हो या कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जंग जीतकर दोबारा मैदान पर वापसी करना हो. युवराज सिंह उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिनका नाम लोग मिसाल के तौर पर लेते हैं.
2 नहीं तीन बार विश्वकप जिता चुके हैं युवराज सिंह
वैसे तो युवराज सिंह के नाम कई बेहतरीन रिकॉर्ड दर्ज हैं. देश को तीन बार विश्वकप दिलाने का रिकॉर्ड ऐसा है जो लोगों को लंबे समय तक याद रहेगा. जी हां युवराज सिंह 2 नहीं बल्कि तीन बार भारत को अपने दम पर विश्व कप जिता चुके हैं. पहली बार युवराज सिंह ने विश्वकप 1999 में अंडर 19 टीम के दौरान दिलाया था. इस शानदार जीत में युवराज सिंह का बहुत बड़ा योगदान था. इसके बाद 2007 में खेले गए पहले T-20 मैच में भी भारत को धमाकेदार जीत दिलाने के पीछे भी युवराज सिंह का बहुत बड़ा हाथ था. इसी दौरान उन्होंने 6 गेंदों पर 6 छक्के मारने का जबरदस्त रिकॉर्ड बनाया था. बता दें ये सानदार रिकॉर्ड बनाने वाले ये एकमात्र बल्लेबाज हैं. इसके अलावा 2011 के विश्व कप में भी भारत को जीत दिलाने में युवराज सिंह का बड़ा योगदान था.
युवराज सिंह ने कुछ यूं याद किया अपना सफर
बता दें 37 साल के युवराज ने सोमवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं भारत के लिए खेलना शुरू किया था तो मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इतना आगे जाऊंगा.' युवराज ने भारत के लिए 40 टेस्ट, 304 वनडे और 58 T20I खेले. टेस्ट में उन्होंने 1900 रन बनाए और वन-डे में 8701.
उन्होंने कहा, 'इस खेल ने मुझे संघर्ष करना सिखाया. मैं सफल होने से ज्यादा बार असफल रहा हूं और मैं कभी हार नहीं मानूंगा. 2011 विश्व कप जीतने के तुरंत बाद कैंसर के साथ लड़ाई शायद सबसे बड़ी चुनौती थी, जिसका उन्हें सामना करना पड़ा.'
युवराज सिंह ने अपने अलविदा स्पीच में टीम के खिलाड़ी, पूर्व कप्तान, बीसीसीआई, चयनकर्ता और अपनी मां शबनम सिंह को शुक्रिया कहा. गुरुओं बाबा अजित सिंह और बाबा राम सिंह का भी युवराज ने शुक्रिया किया.
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