जब विरोध में उतरी महिला हॉकी टीम
एक समय था जब पैसों को लिए महिला हॉकी टीम को विरोध करना पड़ा था.
highlights
- महिला हॉकी टीम के टोक्यो से लौटने पर हो रहा है स्वागत
- एक समय करना पड़ा था पैसों के लिए विरोध प्रदर्शन
- वर्ष 2010 में हुए अभ्यास कैंप की है घटना
नई दिल्ली :
आज महिला हॉकी टीम का जगह-जगह स्वागत हो रहा है. ओलंपिक में चौथा स्थान पाने और पदक से चूक जाने के बाद भी यह सफलता ऐतिहासिक है. पहली बार भारतीय महिला टीम ने ओलंपिक में चौथा स्थान पाया है. खास बात ये है कि 2016 के ओलंपिक में पहली बार भारतीय महिला हॉकी टीम ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाई और दूसरी बार में अब सेमीफाइनल खेला. इसीलिए टीम पर इनामों की बौछार हो रही है लेकिन यह राह इतनी आसान नहीं थी. इसके लिए टीम ने लंबा संघर्ष किया है. एक समय ऐसा था कि महिला टीम को पुरुष टीम के बराबर राशि के लिए संघर्ष करना पड़ा था.
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ये बात है वर्ष 2010 की. तब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में महिला टीम का अभ्यास कैंप लगा था. यहां विश्वकप एवं कॉमनवेल्थ के लिए अभ्यास चल रहा था. यहां महिला खिलाड़ियों ने अभ्यास के वक्त हाथों पर काली पट्टी बांधना शुरू कर दिया. दरअसल, यह विरोध था महिला टीम को दी जाने वाली राशि का.
दरअसल, महिला हॉकी खिलाड़ी, पुरुष साथियों के बराबर राशि की मांग कर रही थीं. महिला खिलाड़ियों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए हॉकी प्रबंधन ने प्रत्येक खिलाड़ी को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की लेकिन महिला खिलाड़ियों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा है कि प्रत्येक खिलाड़ी को 3 लाख रुपये मिलने चाहिए. महिला खिलाड़ियों के कहना है कि उन्हें पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में बेहद कम राशि दी जा रही है.
कमाल की बात ये है कि महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन से कुछ समय पहले भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने भी कम पैसे मिलने के विरोध में प्रदर्शन किया था. इसके बाद पूरी टीम को 1 करोड़ रुपये देने का वादा किया गया था. इसके बाद महिला हॉकी टीम के लिए भोपाल में ट्रेनिंग कैंप लगा. महिला टीम अपना रोष जताने के लिए काली पट्टी बांध कर प्रैक्टिस के लिए उतरने लगी. टीम के चीफ कोच एमके कौशिक ने बताया कि भारतीय महिला हॉकी का कोर ग्रुप काली पट्टी बांध कर अभ्यास के लिए आया. इस ग्रुप में क़रीब 40 खिलाड़ी हैं. कौशिक के उस दौरान बताया था कि खिलाड़ियों का हड़ताल पर जाने का इरादा नहीं दिखता लेकिन विरोध जारी है.
महिला टीम के कोच एमके कौशिक का कहना है कि महिला खिलाड़ी भी पुरुष टीम की तरह सुविधाएं चाहती हैं. 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स, वर्ल्ड कप होना है और उससे पहले ये विवाद खिलाड़ियों के प्रदर्शन को क्या प्रभावित नहीं करेगा. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था कि हम इसे टालने का वह पूरा प्रयास करेंगे. खैर किसी तरह महिला खिलाड़ियों के आक्रोश को शांत किया गया. धीरे-धीरे खिलाड़ियों को मिलने वाली राशि और सुविधाएं बढ़ीं और आज सुनहरा वर्तनाम सामने है.
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