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पहले पिंक टेस्ट में देर से सोने और देर से उठने का था इस अंपायर का रूटीन

India first day night test : भारत और बांग्‍लादेश के बीच कोलकाता में कल यानी 22 दिसंबर से पहला डे नाइट टेस्‍ट होने जा रहा है. यह भले भारत का पहला डे नाइट टेस्‍ट हो, लेकिन भारत के एक ऐसे अंपायर भी हैं, जो पहले डे नाइट टेस्‍ट में अंपायरिंग कर चुके हैं.

Updated on: 21 Nov 2019, 12:16 PM

कोलकाता:

India first day night test : भारत और बांग्‍लादेश के बीच कोलकाता में कल यानी 22 दिसंबर से पहला डे नाइट टेस्‍ट होने जा रहा है. यह भले भारत का पहला डे नाइट टेस्‍ट हो, लेकिन भारत के एक ऐसे अंपायर भी हैं, जो पहले डे नाइट टेस्‍ट में अंपायरिंग कर चुके हैं. यह मैच साल 2015 में आस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड के बीच खेला गया था. अब जबकि भारत में डे नाइट टेस्‍ट होने जा रहा है तो अंपायर ने अपने अनुभव साझा किए हैं. 

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एलीट पेनल में एकमात्र भारतीय अंपायर एस रवि को 2015 में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच दिन रात के पहले टेस्ट में अपने सोने की आदतों में बदलाव करना पड़ा था. चार साल पहले एडीलेड में गुलाबी गेंद से पहले टेस्ट में अंपायरिंग करने वाले रवि ने काफी तैयारी की थी. इस दौरान वह देर से सोते और देर से उठते थे, ताकि उनका शरीर बदले समय के अनुसार खुद को ढाल सकें. रवि ने दो महीने पहले दुबई में आईसीसी की कार्यशाला में भाग लिया और बाद में पर्थ में न्यूजीलैंड और वेस्टर्न आस्ट्रेलिया एकादश के बीच दो दिवसीय अभ्यास मैच में अंपायरिंग की.

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रवि ने सूरत से प्रेस ट्रस्ट से बातचीत में कहा, गुलाबी गेंद से टेस्ट में अंपायरिंग करना लगातार पांच वनडे में अंपायरिंग करने जैसा है. ऐसे में तैयारी भी उसी तरह की होनी चाहिए. उन्होंने कहा, मैं देर से सोता था और देर से उठता था. मैच दस-साढे दस बजे तक चलता था और होटल में आकर सोने में काफी देर हो जाती थी. अंपयार रवि ने देर से सोने की आदत डाली.

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उन्होंने कहा, किसी भी टेस्ट से पहले नर्वसनेस होती है. मैं काफी उत्साहित था और माहौल का मजा ले रहा था. मैं भी नर्वस था लेकिन रोमांच भी उतना ही था. दूसरों की तरह उन्होंने भी स्वीकार किया कि ढलते सूरज की रोशनी में गुलाबी गेंद से खेलना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, सूरज के ढलते समय गेंद को देखना मुश्किल होता है. उस समय गेंद को देखने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. हमें ज्यादा ध्यान रखना पड़ता है.

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उधर, सीनियर ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना है कि ईडन गार्डन्स में दूधिया रोशनी रोशनी में गुलाबी गेंद से अंगुली के स्पिनरों की तुलना में कलाई के स्पिनरों की गेंद को समझना अधिक मुश्किल होगा. भारत अपना पहला बहुप्रतीक्षित दिन-रात्रि टेस्ट बांग्लादेश के खिलाफ ईडन गार्डन्स में शनिवार से खेलेगा और इसे लेकर काफी उत्सुकता है कि गुलाबी गेंद कैसा बर्ताव करेगी. हरभजन ने पीटीआई से कहा, अगर आप देखोगे तो कलाई के स्पिनर फायदे की स्थिति में हैं, क्योंकि गुलाबी गेंद में सीम को देखना काफी मुश्किल होता है. भारत के पास कुलदीप यादव के रूप में कलाई का स्पिनर है लेकिन हरभजन चयन मामलों पर बात नहीं करना चाहते.

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हरभजन ने कहा, यह टीम प्रबंधन का फैसला होगा और मैं टिप्पणी नहीं कर सकता. लेकिन इससे पहले बांग्लादेश को तेज गेंदबाजी की अनुकूल पिच पर भारतीय गेंदबाजों का सामना करना होगा. उन्होंने कहा, और साथ ही सभी को पता है कि कोलकाता में सूर्यास्त के समय साढ़े तीन से साढ़े चार के समय तेज गेंदबाज सबसे अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. लेकिन अगर हमें भविष्य में अधिक दिन-रात्रि के मैच खेलने हैं तो स्पिनरों को लेकर अधिक जानकारी जुटाने की जरूरत है. हरभजन ने याद दिलाया कि 2016 दलीप ट्राफी में गुलाबी गेंद से कुलदीप कितने खतरनाक गेंदबाज बन गए थे. उन्होंने कहा, अगर आपको दलीप ट्राफी याद है तो कोई भी कलाई से कुलदीप की गेंद को प्रभावी तरीके से नहीं समझ पा रहा था. उस टूर्नामेंट में लेग स्पिनरों को काफी विकेट मिले थे.

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उन्होंने बताया कि आखिर कलाई के स्पिनर क्यों अधिक प्रभावी होंगे. हरभजन ने बताया, जब अंगुली का स्पिनर गेंदबाजी करता है तो गेंद सीम के साथ रिलीज की जाती है जिससे कि टर्न और उछाल मिले. जब आप गुगली करते हो तो सीम को समझना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने हालांकि कहा कि मुथैया मुरलीधरन जैसे स्पिनर गुलाबी गेंद से काफी प्रभावी हो सकते हैं. भारत के महानतम स्पिनरों में से एक हरभजन ने कहा, लेकिन मुथैया मुरलीधरन जैसे अपवाद हो सकते हैं जो अंगुली का स्पिनर होने के बावजूद खतरनाक हो सकता है. गुलाबी एसजी गेंद हालांकि स्पिनरों के लिए चुनौती हो सकती है क्योंकि दूधिया रोशनी में इसका रंग बरकरार रखने के लिए रंग की अतिरिक्त परत लगाई गई है.